tag:blogger.com,1999:blog-2071348048963562648.post7549355854570349122..comments2023-11-02T08:27:08.373-07:00Comments on Yaadein: दरारें!Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00933750060556365075noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2071348048963562648.post-6323076401625492822016-10-01T06:52:54.348-07:002016-10-01T06:52:54.348-07:00खूब लिखा हैं आपने, एक बार किसी अखबार में भ्रस्ताचा...खूब लिखा हैं आपने, एक बार किसी अखबार में भ्रस्ताचार के बारे में लिखा था... कोई व्यक्ति भ्रस्ताचार इसलिए नहीं करता क्यूंकि वह उसकी इच्छा हैं, वह भ्रस्ताचार को इसलिए अपनाता हैं क्यूंकि उसका परिवार उसे मजबूर करता हैं... परिवार यह क्यूँ नहीं समझता कि मिलकर चलने में ही सबकी भलाई हैं...Hemendrahttps://www.blogger.com/profile/00718583913514367312noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2071348048963562648.post-13071064034561968402016-09-30T19:09:52.416-07:002016-09-30T19:09:52.416-07:00इसी से मनुष्य सारी दुनिया में पहुँच गया है।
इसी से मनुष्य सारी दुनिया में पहुँच गया है।<br />दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com