Thursday, December 19, 2013

भरपेट खाना, भरपेट मस्ती

आज ही के दिन ४१ साल पहले १९७२ में लखनऊ के लालबाग एरिया में मेलाराम एण्ड सन्स फोटोग्राफर्स स्टुडियो में लिया गया था ये फोटो. आत्ममुग्ध रहते थे. इसलिए अक्सर अलग मुद्राओं में फोटो खिंचवाते थे. लखनऊ यूनिवर्सिटी में राजनीतिशास्त्र से एमए कर रहे थे. बड़ी मस्ती के दिन थे, खाली जेब होती थी. दोस्त भी सब फक्कड थे. फिर भी ज़िंदगी से कोई गिला नहीं था. जब भी पैसा मिलता था कहीं से तो सिनेमा ज़रूर देखते थे. सिर्फ देखते ही नहीं समझने की कोशिश भी करते थे. क्योंकि जेब खर्च सिनेमा पर लेख लिख कर निकालते थे. समाज दकियानूसी लिबास से बाहर आ रहा था, इसका सबूत था, यूनिवर्सिटी में पढने वाली लड़कियों की बड़ी संख्या. राजनैतिक वातावरण में किसी आने वाले तूफान का अन्देशा देने वाली शान्ति थी. दरअसल, देश किस दिशा में जाना है ये किसी को नहीं पता था, एक अनिश्चय का वातावरण था. पर कुल मिला कर महंगाई को लेकर कोई शोर शराबा नहीं था इसलिए माता जी बड़े प्यार से भरपेट खाना खिलाती थी.

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