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Monday, December 16, 2013

काली फि़ल्म, काली सोच!

चंद हफ्ते पहले शहर के अख़बारों में छपा था कि फलां रसूखदार की ’देख लूंगा....वर्दी उतरवा दूंगा...’ की हाहाकारी धमकी की परवाह न करते हुए हमारे बहादुर सिपाहियों ने उसकी महंगी एसयूवी के शीशों पर चढ़ी काली फिल्म उखाड़ फेंकी थी। सीना गर्व से फूल गया था कि आखिर कानून का राज कायम हो ही गया। अब देर नहीं जब सूबे की काली फिल्म की गाडि़यों की फेहरिस्त से अपना शहर सबसे पहले गायब होगा। मगर जल्दी ही पता चला ये भ्रम था, सब्जबाग तो सिर्फ ख्वाबों में आते हैं। काली फि़ल्म चढ़ी तमाम छोटी-बड़ी कारे व बसें शहर की सड़कों पर पुलिस को मुंह चिढ़ाती व ठेंगा दिखाती बदस्तूर सरपट दौड़ रही हैं।