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Thursday, January 23, 2014

यहां तो हर आम ख़ास है!

 -वीर विनोद छाबड़ा

इन दिनों पूरे मुल्क में आम आदमी की बड़ी धूम है। ज्यादा आम दिखने के चक्कर में आम दिखने वाला आदमी ख़ास दिखने लगा है। ख़ास आदमी भी आम आदमी दिखने की जुगत में लगा है। कुल मिलाकर ख़ास और आम दोनांे में आम दिखने की ज़बरदस्त होड़ चल रही है। मगर बंदे के शहर में तो पहले से ही आम दिखता हर आदमी ख़ास है। बंदा तो पहले से ही आम है। मगर जुल्म की मुख़ालफ़त करना और हक़ के लिए लड़ने के जज़्बे ने उसे ’आम खास’ बना दिया है। कुछ दिन पहले एक आटो वाले से भि़ड़ गया। बंदा मनमाना किराया देने के लिए तैयार नहीं था। बात बहस से बढ़ कर इस हद तक जा पहुंची कि सैकड़ों आटो-टैम्पो चालक जमा हो गये। ट्रैफिक ठप्प हो गया। पुलिस ने बंदे को ख़ालिस आम आदमी बना कर जब जम कर लथाड़ा तब जाकर मामला सुलझा।