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Friday, January 10, 2014

मुबारक हो, लड़की हुई है!



-वीर विनोद छाबड़ा
कौन बनेगा करोड़पति रीयल्टी शो के पिछले से पीछले सीज़न में टीवी चैनल्स पर दिखाया गया प्रोमो विज्ञापन कुछ इस तरह था - राम दयाल जी, लड़की हुई है... पुत्र के रूप में पहली संतान की बड़ी शिद्दत से कामना व प्रतीक्षा कर रहे राम दयाल जी को यह सून कर गहरा सदमा लगता है... वह निराशा व हताशा के गहरे समुद्र में डूब जाते हैं... परंतु पिता, परिवार व समाज की तमाम उपेक्षाओं, प्रताड़नाओं व बाधाओं का सामना करते हुए वो लड़की आशा बड़ी होती है... और वो लड़की आशा अपने ज्ञान व साहस के बूते एक दिन ’हॉट सीट’ पर जा बैठती है... और जब वो लड़की आशा एक करोड़ जीत चुकी होती है... तब एंकर अमिताभ बच्चन उस लड़की आशा से पूछते हैं कि कुछ कहना है?... तब वो लड़की आशा, उसको उपेक्षित दृष्टि से देखने वाले समाज पर पूरे आत्मविश्वास के साथ व्यंग्यात्मक कटाक्ष करती है-‘‘मुबारक हो, लड़की हुई है!’’ वास्तव में उक्त कथन कोई मामूली कथन नहीं है। लड़की होने का दंभ भरने वाला एक धमाकेधार वक्तव्य है यह। अहंकारी पुरूष प्रधान समाज, जिसे पुत्र और सिर्फ़ पुत्र के उत्पन्न होने की कामना रहती है, के  बनावटी व बदसूरत उसूलों व व्यवस्थाओं पर एक बेआवाज़ ज़न्नाटेदार तमाचा था यह वक्तव्य।