Wednesday, January 7, 2015

शर्म आती है ऐसे बयान सुन कर

-वीर विनोद छाबड़ा
साक्षी महाराज ने जो कहा आप सबने सुना/पढ़ा होगा।

हिन्दू महिलाओं से बोलते हैं - चार पैदा करो। एक साधु/महात्मा को दे दो। दूसरा सीमा पर भेज दो।


इनका आशय शायद ये है चारों लड़के पैदा करो।

इनका ज्ञान इतना सीमित है कि इनको ये नहीं मालूम कि ये किसी स्त्री/या पुरुष के बस में नहीं है कि वो चारों लड़के हों। लड़कियां हुई तो क्या करेंगे? ऐसी सोच वाले इस प्रश्न का जवाब बेहद घटिया ही देंगे।

अरे महाराज, किसी मां से पूछ। अपने जाए को कितने महीने कलेजे से लगा कर रखती है। अपनी मर्ज़ी से कोई मां नहीं कहती कि जा बेटा सीमा पर गोली खा। विरली माताएं होती हैं जो ख़ुशी-ख़ुशी भेजती हैं। और फिर ये हालात पर भी निर्भर करता है। देश पर संकट हो तो साठ क्या उससे ऊपर वाले भी जवान बन जाते हैं। सीमा पर जाने के लिए बेताब हो उठते हैं। 

आप बोलते हो - एक साधू महाराज को दे दो। कोई व्यसायिक संस्थान है आपका आश्रम, जहां बच्चे को भेज दे? किसी मां से पूछो। क्या वो अपने बच्चे को राजा/महाराजा से कम पोस्ट पर देखती है। वो कहती है एक चाय वाला प्रधानमंत्री बन गया तो ऐसा सपना मैं क्यों न देखूं। और आप हैं कि.

क्या आपने सोचा है या आंकलन किया है कि आपके इस बयान पर हिन्दू महिलाओं पर क्या प्रतिक्रिया हुई है? फैक्ट्री समझ रखा है क्या? काम-धाम छोड़ बच्चे पैदा करें। फिर खून-पसीना बहा कर उसे बड़ा करे। यही है उसकी ज़िंदगी?  

हैरानी होती है कि ऐसी कुपित बुद्धि वाला भी साधू/महात्मा हो सकता है?


सुना है ऐसे मूर्खतास्पद और वैमनस्य फैलाने वाले बयान ये पहले भी देते रहे हैं। अगर नहीं दिए हैं तो यकीनन इनकी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी है। इन्हें फ़ौरन ईलाज की ज़रूरत है।

ये अभी कुछ समय पहले समाजवादी पार्टी में थे। उससे पहले भाजपा में। अब फिर भाजपा में। कितना अजीब लगता है ये सोच कर कि इन जैसों का वोट बैंक है और राजनीतिज्ञ कितना गिर जाते हैं इन जैसों को अपने पक्ष में करने के लिए।

रही-सही कसर इनको जिता कर एमपी बनाने वाले पूरी कर देते हैं।

यों बेहतर हो यदि चैनल मीडिया वाले इनको स्टूडियो में बुलायें। महिला पैनल के सामने बैठा दें और कहें दे जवाब अपनी मां और बहनों को।

मुझे तो शर्म आ रही है कि इनकी पार्टी इन्हें और इन जैसों को कैसे बर्दाश्त कर रही है? ये पार्टी की नहीं मुल्क की छवि भी ख़राब कर रहे हैं।

काश हमारी सरकार में इनको तुरंत पकड़ कर बंद करने की राजनीतिक इच्छा शक्ति होती।
-वीर विनोद छाबड़ा ०८-०१-२०१५
 

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