Friday, March 27, 2015

बिटिया ऐसी होती है!

-वीर विनोद छाबड़ा
शाम वो मेरे कमरे में आई।
आमतौर पर उसके आते ही एक भूचाल सा आ जाता है। मगर आज शाम वो बिल्ली की तरह दबे पांव चुपचाप आकर मेरे पीछे खड़ी हो गयी।
यकीनन मां से छुप कर आई है। कुछ मतलब है ज़रूर।
मैं काम में मसरूफ़ रहा। उसने पीछे से कोहनी से ठुनका मारा। मैंने बिना गर्दन हिला दी। मतलब - यस । क्या चाहिए
उसने फिर ठुनका मारा। इस बार थोड़ा जोर का।
मैंने कुर्सी घुमायी। उसने बड़ी-बड़ी आंखों से मुझे तरेरा।
फिर आंखें चारों ओर घुमाई। यह चेक करने के लिए कोई देख-सुन तो नहीं रहा। वो आश्वस्त हो गयी कि सब ठीक है।
अब उसने भवों को दो-तीन बार नीचे गिराते  हुए इशारा किया।
मैंने फर्श पर निगाह दौड़ाई। कंधे उचकाये। होंट बंद कर पिचकाये। कुछ भी तो नहीं।
वो गुस्साई। चेहरा भींचा और आंखें बाहर निकाली। भृकुटि चढाई। भवों को नीचे गिराते हुए नीचे देखने की ओर का इशारा किया। 
मैंने फिर देखा। मैंने पूर्व की भांति कंधे उचकाये, होंट पिचकाये। कुछ भी तो नहीं।
अब वो उदास हुई।
मैंने भी लाचारी का संदेश देने वाले कंधे उचका दिए। क्या देखूं। कुछ भी तो नहीं दिखा।
अबकी बार उसने पूरी बाहं मेरे मुंह के सामने फैला दी।
मैं ख़ुशी का इज़हार करते हुए निशब्द उछल पड़ा। आंखे पूरी फैलाईं। होंट चौड़े करके मुस्कान फैलाई यानी - अरे वाह! अरे वाह!! 
इस बार उसका चेहरा फूल समान मुस्कान से पूरा खिल उठा। दांत भी दिखने लगे। 
मैंने इशारों इशारों में कहा ठीक है। देख लिया। अब जाओ मुझे कंप्यूटर पर काम करना है।
मगर वो टस से मस हुई। उसने गुस्से से लंबी हूंउउ की।
मैं समझ गया। अच्छा-अच्छा। मोबाइल कैमरे से दो तस्वीरें उतारी। उसका डिस्प्ले दिखाया। 
उसने संतुष्ट होकर जीभ बाहर निकली। अंगूठे से थम्स-अप किया। फिर गर्वीली मुद्रा मे गर्व से उसने आंखें चढायीं। दोनों बाहें स्वामी विवेकानंद की भांति बांधी। एक लंबी हूं की। दायें-बाएं होंठ बिचकाए।

मुझे शुक्रिया अदा करने की उसकी यही स्टाइल है।
और फिर बिल्ली की तरह दबे पांव चुपचाप मेरी कुर्सी के पीछे आई। एक हल्का सा धक्का मारा। जब तक मैं पीछे पलटा वो फुर्र हो गयी।
ये थी मेरी बेटी दिव्या। बाएं हाथ पर दायें हाथ से मेहंदी रची थी और छुपकर तस्वीर उतरवाने आई थी।
दरअसल यह मूक अभिनय उसने इसलिए किया कि मां डांटे नहीं कि महेंदी रचे हाथों की तस्वीर उतरवाने और पापा को डिस्टर्ब करने फिर पहुंच गई।
हम बाप-बेटी के बीच चेहरे पर स्थित प्रत्येक अंग से भावों को अभिव्यक्ति देने वाला लंबा संवाद अक्सर चलता रहता हैं।
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२८-०३-२०१५

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