-वीर विनोद छाबड़ा
ऋषिकेश मुकर्जी की अनाड़ी
में राजकपूर को मुकरी बड़े भोलेपन से समझाते हैं कि मालिक को आते हुए सलाम करो और जाते
हुए भी सलाम करो। बस हो गयी नौकरी। मैं तो सुबह बीवी को भी सलाम करके निकलता हूं।
मसखरी की आदत ताउम्र उनका
स्थायी भाव रहा। अवसादग्रस्त भी उनका चेहरा देख बरबस मुस्कुरा देता था। परदे के सामने
और पीछे उनके नाम पर कई नज़ारे जुड़े हैं। प्रकाश मेहरा की शराबी के नत्थूलाल की याद
तो सभी को ताज़ा है। उनकी बड़ी-बड़ी मूंछो पर अमिताभ बच्चन ने बार-बार जुमला कसा। मूंछें
हो तो नत्थूलाल जैसी वरना न हों। इसने अमिताभ के किरदार को एक्स्ट्रा लिफ्ट दी। याद
करें अमर अकबर अंथोनी का गाना - तैयब अली प्यार का दुश्मन, हाय हाय.…इसके पीछे भी मुकरी
ही थे।
१९४५ के दिनों में बॉम्बे
टाकिज़ स्टूडियो के मामूली मुलाज़िम थे मुकरी। गोल-मटोल और छोटे कद के मुकरी। चेहरे पर
चौड़ी मुस्कान। स्टूडियो की मालकिन देविका रानी की नज़र उन पर पड़ी। अरे वो आदमी परदे
के पीछे क्या कर रहा है? इसे सामने लाओ।
और लगभग ६०० फिल्मों में
छाए रहे वो। यह संकेत है कि छोटे कद मुकरी का दरअसल कद कितना ऊंचा और अहम था। पचास, साठ और सत्तर के
दशक की हर दूसरी-तीसरी फिल्म में उनकी जगह पक्की रही, भले ही कहानी में
उनकी गंजाईश नहीं थी। काम चाहे छोटा रहा हो या बड़ा, निर्वाह उन्होंने
पूरे दिल, लगन और विनम्रता से किया। अपनी मौजूदगी का अहसास कराया। दिलीप
कुमार की लगभग सभी फिल्मों में वो दिखे। उनके अच्छे निज़ी मित्र भी रहे। तक़रीबन हर छोटे-बड़े
एक्टर के साथ काम किया। कोई विवाद नहीं जुड़ा। उस दौर में जन्मे अनेक छोटे कद वाले मुकरी
कहलाए।
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Mukri with Sanjeev Kumar |
मुकरी परदे से बाहर की
दुनिया में भी बहुत मज़ेदार आदमी थे। आन फिल्म की शूटिंग के दौरान गधे की ज़रूरत पड़ी।
खोज-बीन हुई। लेकिन गधा नहीं मिला। निर्देशक महबूब खान झल्ला गए। क्या वाकई दुनिया
में गधों का अकाल है? या फिर मेरे नसीब में गधा
नहीं। वहीं खड़े मुकरी बेसाख्ता बोल उठे - इस बंदे में गधा बनने की सारी खूबियां मौजूद
हैं।
नासिर खान बागी बना रहे
थे। अचानक हल्ला हुआ कि पानी में किसी ने गंदगी मिला दी है। तब मुकरी सबसे पूछते फिरे
कि इरीगेटेड वाटर सप्लाई कहां से मिलेगी। साथी उनसे महीनों चुहल करते रहे- भाई, इरीगेटेड वाटर
मिला कि नहीं।
उनका हाथ अंग्रेजी में
काफी तंग रहा। लेकिन अपने इस अज्ञान पर लुत्फ उठाने की पहल खुद ही करते रहे। फन्नी
किस्म की इंग्लिश बोल कर सबको हंसाते रहते। अमिताभ बच्चन ने नमक हराम में इंग्लिश इज
ए फन्नी लैंग्वेज...आई कैन टाक इंग्लिश, आई कैन वाक इंग्लिश...
बोल कर खूब वाहवाही लूटी। इसकी कुछ प्रेरणा उन्हें शायद मुकरी से भी मिली थी।