Saturday, June 11, 2016

लंदन का एकलव्य!

-वीर विनोद छाबड़ा
लंदन की एक गरीब बस्ती। एक सबसे अलग सा दिखता विचित्र अनाथ बालक भी था वहां।

रद्दी अख़बार उसकी ज़िंदगी थे। क्योंकि वो इन्हें बेचकर अपनी बसर करता है। उसकी निगाह कभी-कभी रद्दी अख़बार की हेड लाइन या किसी दिलचस्प खबर पर भी पड़ जाती। उन्हें वो सहेज कर रख लेता और फिर समय निकाल कर अध्यन्न करता।
रद्दी बेचने के दौरान उसकी मुलाक़ात एक जिल्दसाज से हुई। यहां किताबों पर जिल्दें चढ़ाते-चढ़ाते वो उनमें विज्ञानं संबंधी लेख पढ़ने लगा।
एक दिन उसकी नज़र से विद्युत से संबंधित दिलचस्प लेख गुज़रा। एक रात के लिए उसने पुस्तक उधार ली और पूरी किताब पढ़ी। उसकी जिज्ञासा बढ़ती गई। विद्युत से संबंधित छोटे-मोटे कलपुर्जे जमा करने लगा ताकि कुछ प्रयोग और परिक्षण कर सके। जिल्दसाज की दुकान पर एक ऐसा ग्राहक भी आता था जिसे विद्युत विज्ञान में दिलचस्पी थी। उस बालक को विद्युत परिक्षण करते देख उस ग्राहक ने उसे फिजिक्स के प्रसिद्ध विद्वान डेवी का भाषण सुनने की सलाह दी।
बालक ने वो भाषण सुना और उस एक टिप्पणी अपने छोटे से परामर्श के साथ डेवी को पोस्ट कर दी।
डेवी ने जब उसे पढ़ा तो वो बहुत प्रभावित हुए। उसने उस बालक को बुलावा भेजा। डेवी ने उसका इंटरव्यू लिया तो गदगद हो गए। उनको उस बालक में असीम विलक्षण प्रतिभा और भविष्य के महान वैज्ञानिक बनने के दर्शन हुए। डेवी ने उसे अपने यंत्र आदि की केयर के लिए रख लिया। इस भूमिका के साथ साथ वो बालक उनके  नौकर और सहकर्मी की भूमिका भी अदा करने लगा।
वक्त गुज़रता गया। डेवी को काम करते हुए देख कर वो बालक बड़ा हो गया। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और इलेक्ट्रोकेमिस्ट्री की दुनिया में उसने बहुत सफल परिक्षण किये। अपनी मेहनत  के दम वो बहुत बड़ा वैज्ञानिक बन गया। बड़ा नाम उनका।
उनकी ज़िंदगी और एकलव्य की ज़िंदगी में बड़ी समानता है। बस यूं समझ लीजिये कि वो लंदन के एकलव्य थे। फर्क इतना था कि गुरू डेवी दक्षिणा के बहाने उससे अंगूठा नहीं मांगा।
बहरहाल लंदन का यह एकलव्य विद्युत की दुनिया में माइकल फैराडे के नाम से मशहूर हुआ।
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11-06-2016 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016

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