Thursday, June 23, 2016

आउट ऑफ़ सर्विस।

- वीर विनोद छाबड़ा
एटीएम कार्ड का प्रयोग करने के मामले में हम बेहद काहिल हैं। महीनों गुज़र जाते हैं। परिणामतः डिएक्टिवेट हो जाता है। दोबारा-तिबारा बनवाते हैं। मगर हर बार इतिहास ने खुद को दोहराया।

लेकिन इस बार क़सम खाई कि ऐसा नहीं होगा। हम बैंक पहुंचे। गार्ड ने मैडम की तरफ ठेल दिया। हमें अच्छा लगा। इसलिए कि विचार से बैंकों में लेडीज़ ज्यादा और जल्दी काम करती हैं। बहरहाल, मैडम ने हमारी व्यथा सुनी। एक कागज़ दिया। एक्टिवेट करने की एप्लीकेशन लिख दें। फिर उन्होंने परसों आने के लिए कहा।
चार दिन बाद गए। मैडम ने कहा कि सर्वर डाउन है। हम हफ्ते बाद फिर गए। एक महोदय बैठे थे। उन्होंने बताया कि मैडम छुट्टी पर हैं। दो दिन बाद आएं। हम चार दिन बाद गए। मैडम ने कुछ कागज़ात उलटे पलटे। उनके माथे पर कुछ बल पड़े। शायद कुछ परेशानी है। हम ग़लत नहीं निकले। अनुपस्थिति में किसी ने सब उल्टा-पुल्टा कर दिया था। वैसे भी कई दिनों से हम देख रहे थे कि वो कई काम करती हैं, जिसमें हर किस्म की एफडी भी शामिल थीं और पीपीएफ वालों को झेलना भी। जो भी आता था, दस सवाल ज़रूर पूछता था। सीनियर सिटीज़न तो एक बार बैठे तो उठने का नाम भी नहीं लेते थे। सवाल दर सवाल। और महिला सीनियर सिटीज़न तो तौबा समझिए। जैसे बहु से स्पष्टीकरण  मांग रही हों। बहरहाल, वो हमसे बोलीं कल, देख लीजिएगा।
हमने फिर पर्याप्त समय दिया उनको। हफ्ते बाद गए। अब हम बिना कुछ कहे ही उनके लिए सवालिया निशान बन चुके थे। अपना सर पकड़ कर बैठे गईं। सर्वर डाउन है।

इस बार हमारे धैर्य का बांध गया। कहा तो कुछ नहीं, लेकिन हम गुस्से से लाल पीले हो गए। यह तो हमारी भीष्म प्रतिज्ञा पर पानी फेरने पर तुली है। महीना गुज़र चुका है। सीनियर सिटीजन हैं हम, कोई मज़ाक नहीं। बहरहाल, अगले दिन हम पूरी तैयारी के साथ पहुंचे। साथ में ब्यौरेवार एक शिकायती अर्जी भी ले गए।
लेकिन हमारा सारा गुस्सा काफ़ूर हो गया। दुःख हुआ कि क्रोध करके खामख्वाह ही इतनी एनर्जी जाया की। मैडम मानों हमारा ही इंतज़ार कर रही थी। हमें देखते ही एक लिफाफा पकड़ा दिया। यह रहा आपका नया एटीएम कार्ड और पिन कोड भी। हम बेहद खुश हुए। अब तक जो हुआ उस पर स्वाहा डाली।
लेकिन असली पिक्चर तो अभी बाकी है दोस्त। कार्ड लेकर हम घर आ गए और फिर वही काहिलपन सवार हो गया। करीब महीना भर गुज़र गया।

लेकिन उस दिन निकले बड़े जोश में। एजेंडे में कई काम थे। इसमें एटीएम कार्ड से रुपया निकलवाना भी था। सबसे पहले पेट्रोल भराया। जेब में हाथ डाला। पर्स गायब। घर भूल आये थे। लेकिन कोई बात नहीं एटीएम कार्ड तो है। वहीं आईओबी का एटीएम भी था। कार्ड डाला तो लिख कर आया कि यह कार्ड हमारे रिकॉर्ड में नहीं है। हमारे तो प्राण सूख गए। एक दोस्त को फ़ोन किया तो वो रूपए लेकर आया।
उसके बाद हम आगबबूला होते हुए सीधे बैंक पहुंचे। लेकिन मैडम ने हमें कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया। देखते ही हमारा नाम लेकर बोलीं - यह रहा आपका एटीएम कार्ड। पिछला भूल जाइये। पिन कोड आजकल में कोरियर से मिल जाएगा। घर पहुंचे तो पिन कोड आया हुआ था। लपक कर हम सबसे पहले पड़ोस के एटीएम पहुंचे। लिखा था - सॉरी। आउट ऑफ़ सर्विस। 

हमारा उत्साह ठंडा पड़ गया। छोड़ो, यार अब कल देखेंगे।
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