Saturday, May 16, 2015

और तूफां में सिगरेट सुलगा दी?

-वीर विनोद छाबड़ा
हमारे पिता जी के एक दूर-दराज फूफा हुआ करते थे। महा के काहिल। जैसे-तैसे हाई स्कूल पास।
हमारे खानदान में उनकी शादी की बात चली तो पता चला कि नौकरी के मामले में सिफ़र। मना कर दिया गया।
लेकिन फूफा का दिल फूफी पर आ गया। और फूफी ने भी तय कर लिया कि आने वाला करवा चौथ उन्हीं के नाम पर होगा।
Don't Smoke
फूफा जी ने सुना तो सारा काहिलपन उतार फेंका। सुबह से शाम, कभी इधर तो कभी उधर। कई जोड़ी चप्पल-जूते घिस गए। लेकिन कोई तजुर्बा मांगे तो कोई  सिफ़ारिश और कोई सिक्योरिटी। यह सब नहीं तो अच्छी नौकरी कैसे मिले?
उस ज़माने के हिसाब से हाई स्कूल पास होना ठीक ही था। मगर आप पर विश्वास करने को कोई कारण तो होना चाहिए। और इसी में फूफा जी  फेल हो  गए।
एक दिन एक सरकारी विभाग से बुलावा आया। इंटरव्यू के लिए शॉर्टलिस्ट हुए। महान उपलब्धि!
बढ़िया कोट-पतलून पहन कर हाज़िर हुए इंटरव्यू बोर्ड के सामने। दे दनादन सवाल पूछे गए। गोलियों की बौछार हो गयी। फूफा जी का किताबी सामान्य ज्ञान बिलकुल फूहड़। दुनियादारी का सामान्यज्ञान वहां काम न आया। मगर इसके बावजूद वो मुस्कुराते हुए बैठे रहे।
पैनल के अध्यक्ष को यह बात अच्छी लगी। उन्होंने पूछा  - आखिरी सवाल। आखिर हम तुम्हें क्यों नौकरी दें? कोई लियाक़त, जिसे तुम लियाकत समझते हो तो बताओ।
फूफा जी बोले - हां एक लियाक़त है, जो दूसरों में नहीं है। इसमें मैं लाखों में एक हूं।
अध्यक्ष जी ने कहा - ठीक है बताओ।
फूफा जी बोले - कितना ही भयंकर आंधी तूफ़ान क्यों न हो। मैं एक बार में सिगरेट सुलगा सकता।
अध्यक्ष जी बोले - इससे क्या साबित होता है?
फूफा जी सीना तान कर कहा - मैं आंधी तूफ़ान से डरने वालों में से नहीं। मक़ाबला करूंगा। ऐसा करना डिपार्टमेंट के हित में होगा।
बोर्ड को लगा बंदे में है दम।
चारों तरफ से दर्जन भर हाई स्पीड वाले पैडेस्टल स्टैंड फैन और ऊपर से फुल स्पीड सीलिंग फैन चला दिया गया। माहौल को पूरी तरह से हाई टाइट तूफ़ान  वाला बना दिया गया। खड़े होना तक मुश्किल था। ऐसे सीन उन दिनों ब्लैक एंड वाइट फिल्मों में अक्सर दीखते थे। ऐसा अद्भुत नज़ारा देखने दूर-दूर से लोग आये।

और फूफा जी ने एक तीली में सिगरेट सुलगा ली। चारों ओर से ताली बजी। और यह नौकरी उन्हें मिल गयी।
बताते हैं क्लर्क भर्ती हुए थे और बहुत ऊंची पोस्ट से रिटायर हुए। अब दिवंगत हैं।
उनका उदहारण देकर बरसों हमारे खानदान में निठल्लों को जगाया जाता रहा।
मगर अब कोई मानता ही नहीं है। कहते हैं सब लोकल है।
नोट - सिगरेट सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह है।
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वीर विनोद छाबड़ा
-०५-२०१५ मो ७५०५६६३६२६
डी०-२२९०, इंदिरा नगर, लखनऊ - २२६०१६  

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