Tuesday, September 6, 2016

आशिक़ का जनाज़ा है।

- वीर विनोद छाबड़ा
हमने एक से बढ़ कर एक मोहब्बत करने वाले सूरमा देखे हैं। आसमान से तारे तोड़ने का दम भरने वाले और खुदा से भी टकराने वाले। लेकिन आख़िर में ज्यादातर के हाथ में नाकामी ही रही। 
मगर मोहब्बत करने से बाज़ नहीं आये। एक मित्र ने बताया कि डीएनए में घुसी है यह तो। पहले उन्होंने उसकी गली के चक्कर लगाने शुरू किये। एक बार धर दबोचा गए। जम कर पिटे भी। पिटवाते भी रहे। ज़ालिमों, और मारो, जम कर मारो। आशिक़ का ज़नाज़ा है धूम से निकले। पुलिस स्टेशन पहुंचा दिए गए।
हम लोगों को ख़बर हुई। दौड़े दौड़े गए। दरोगा जी के बहुत हाथ-पैर जोड़े। दरोगा जी की बड़ी बड़ी मूंछे थीं। सर पर खिचड़ी जैसे सफ़ेद बाल भी। मुंह में पान। होंठ लाल लाल। सब अंदर ही थूक लेते थे। बाहर एक छींटा तक नहीं। शायद प्रोमोटेड दरोगा जी थे।
चचा, अभी तो यह नालायक़ पढ़ रहा है। बात लिखा-पढ़ी में हो गई तो भविष्य बिगड़ जाएगा। नौकरी न लगी तो कोई बात नहीं। परचून की दूकान ही कर लेगा। और सबसे बड़ी दिक्कत तो यह होगी कि शादी नहीं हो पायेगी। सज़ायाफ्ता से भला कौन करेगी शादी। अपना ही बच्चा समझ लें। हम लोग लिख कर अंडरटेकिंग देने के लिए तैयार हैं कि यह आयंदा से लड़की नहीं छेड़ेगा। यह क्या इसकी अगली सात पुश्तें भी किसी लड़की की तरफ नहीं देखेंगी।
दरोगा जी बहुत प्रभावित हुए। मित्र को जाने दिया, लेकिन यूं ही नहीं। सारा खसरा-खतौनी पता कर लिया। लड़का तो अच्छे ख़ानदान है। और अपनी छट्टी वाली लड़की ब्याह दी, बिना दहेज़ के।
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06-09-2016 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar 
Lucknow - 226016

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