Wednesday, September 7, 2016

मरने के बाद भी कॉमेडी ने नहीं छोड़ा पीछा

-वीर विनोद छाबड़ा
कॉमेडी फिल्मों को समझने के लिए भाषा की ज़रूरत नहीं है। सिर्फ़ व्यंग्य और हास्य की समझ रखने का सौंदर्यबोध चाहिए। इसके बिना चार्ली चैपलिन की फिल्मों को समझना मुश्किल है। उन्होंने ६८ फिल्मों में काम किया था। ७२ फ़िल्में डाइरेक्ट कीं। कई फिल्मों की कहानी भी लिखी। ३७ फ़िल्में प्रोड्यूस भी करीं।
चार्ली चैपलिन कितने महान विदूषक थे इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि कॉमेडी होने के बावज़ूद उनकी ज्यादातर फ़िल्में क्लासिक शुमार हुईं। कुछ मशहूर फ़िल्में थीं - दि ग्रेट डिक्टेटर, सिटी लाइट्स, मॉडर्न टाइम्स, दि गोल्ड रश, दि डॉग्स लाइफ, दि बैंक आदि।
ट्रेजडी और चार्ली का चोली-दामन साथ रहा। यह साथ उनकी पैदाइश से लेकर ज़िंदगी के आख़िर तक चला। क़ब्र में भी चैन न लेने दिया गया। मुफ़लिसी के कारण उन्हें अपनी जन्म भूमि छोड़नी पड़ी तो अपने कर्मों के कारण कर्म भूमि अमेरिका। उन पर कम्युनिस्ट रूस के प्रति सहानुभूति रखने का आरोप लगा। उन दिनों वो स्विट्ज़रलैंड में थे। उन्हें दोबारा अमेरिका में प्रवेश की अनुमति भी नहीं दी गयी।
चार्ली के संबंध में कई दिलचस्प किस्से हैं। बात उन दिनों की है जब चार्ली घर-घर का नाम बन चुके थे। लेकिन इसके बावज़ूद वो मुफ़लिस थे। एक दिन उन्हें पता चला कि एक संस्था ने प्रतियोगिता आयोजित की है कि जो चार्ली की परफेक्ट नकल करके दिखाएगा उसे नकद इनाम दिया जाएगा। चार्ली ने सोचा कि  इसी बहाने कुछ कमाई हो जाए। वो प्रतियोगिता स्थल पर भेष  बदल कर पहुंचे ताकि उन्हें कोई पहचान न सके। एक के बाद एक अनेक प्रतिभागियों ने चार्ली की मिमक्री की। चार्ली को बहुत मज़ा आया। अपनी पीठ थपथपाई - अरे इससे बेहतर तो मैं कर ही सकता हूं। मगर उन पर व्रजपात टूटा जब रिजल्ट घोषित हुआ तो खुद को चौथे नंबर पर खड़ा पाया। ईनाम कोई और ले गया। कुछ का कहना है कि उस प्रतियोगिता में चार्ली खुद को प[परखने गए थे।

चार्ल्स मैकआर्थर बड़े पटकथा लेखक थे। उनका हास्य बोध चार्ली चैपलिन से कम नहीं था। वो चार्ली के निकटतम मित्र भी थे। दोनों अक्सर एक-दूसरे से सलाह मशिवरा भी करते। एक दिन मैकआर्थर की गाड़ी फंस गई। हास्य सृजित नहीं हो रहा था। उन्होंने एक दृश्य पर चार्ली से सलाह मांगी। एक मोटी महिला का केले के छिलके पड़ा नहीं कि वो फिसल गयी। यह सीन हज़ारों दफ़े दिखाया चुका है। बोर हो गया है दर्शक। कुछ नया परोसना चाहता हूं। पर कैसेसमझ में नहीं आ रहा।
चार्ली को एक पल भी नहीं लगा सोचने में। मोटी महिला छिलके पर पैर रखते ही फिसली और फिसलती चली गई। आगे एक मैनहोल खुला था। महिला खुले मैनहोल में गिर गई। और गायब हो गयी। चार्ल्स उनका मुंह देखने लगे। चार्ली संजीदा हुए। महिला से पिंड छुड़ाने का इससे बढ़िया तरीक़ा क्या हो सकता है?

एक बार चार्ली अपने मशहूर चित्रकार दोस्त से मिलने गए। चित्रकार अपने में मगन थे। बात भी करते जाते और पेंटिंग ब्रश भी छिड़कते जाते। उसके कई छींटे चार्ली की नई पैंट और शर्ट पर भी पड़े और फैल गए। चार्ली ने शिकायत की। अब मैं घर कैसे जाऊं? अपनी पैंट और शर्ट उधार दे दो। मित्र मुस्कुराये। पैंट और शर्ट पर जगह जगह हस्ताक्षर कर दिए। अब यह नायब कृति हो गयी।
'दि ग्रेट डिक्टेटर' चार्ली की क्लासिक फिल्म थी। यह फिल्म उन्होंने हिटलर को चिढ़ाने के लिए बनाई थी। सेकंड वर्ल्ड वॉर तब चल रही थी। उन्हें डर था कि कोई विवाद न खड़ा हो जाये। उनके मित्र डगलस फेयरबैंक्स ने उनकी आशंकाओं को दरकिनार करते हुए सलाह दी - दुनिया के ग्रेट विलेन का मुक़ाबला उसी की शक्ल का दुनिया का ग्रेट कॉमेडियन करेगा। ऐसा करना उनका फ़र्ज़ है और मानवता व सच की सेवा भी। जान जाती है तो जाए। कम से कम संसार की सबसे बड़ी घटना के तौर पर ज़माना इसे याद तो रखेगा। हर जगह सराही गयी थी यह फिल्म।
चार्ली १६ अप्रैल १८८९ को इंग्लैंड में जन्मे थे, मगर फ़िल्में उन्होंने हॉलीवुड में बनाई। उन्हें सर्वहारा का नायक कहा गया। चार्ली की मृत्य २५ दिसंबर १९७७ को स्विट्ज़रलैंड में हुई। उन्हें वहीं दफ़न भी किया गया। मगर वो मरने के बाद भी कॉमेडी ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। दफ़न के कुछ दिन बाद चोर उनका कॉफिन चुरा कर भाग गए। पुलिस ने खासी मशक्कत के बाद चोरों को धर दबोचा। और उनका कॉफिन वापस उनकी कब्र में पूर्ण सम्मान के साथ पुनः दफ़न किया गया।
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Published in Navodaya Times dated 07 Sept. 2016
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