Thursday, October 22, 2015

घमंड ले डूबा रावण को।

- वीर विनोद छाबड़ा
बताते हैं रावण शक्तिशाली ही नहीं, विद्वानों का विद्वान भी था।
चलिए मान लिया। होगा वो शक्तिशाली और विद्वान।
लेकिन एक कमी थी उसमें। यही ले डूबी उसे। सब धरा का धरा रह गया। उसे घमंड़ बहुत था उसे अपनी विद्वता और ताकत पर। देवतालोक भी में ख़ौफ़ था उसका। थर थर थर कांपते थे उससे सभी।
हज़ारों साल तप किया रावण ने।
भगवान प्रसन्न हुए। क्या मांगता है? मांग ले। इच्छाएं पूर्ण होगीं।
रावण ने मांगा - देव, दानव, गंधर्व और किन्नर में कोई भी उसका वध न कर सकें।
भगवान ने पूछा - मनुष्य और पशु से तुझे डर नहीं।
रावण ने अट्ठहास किया - ये तुच्छ कीड़े हैं। जब चाहूं मसल दूं। कोई भय नहीं इनसे।

भगवान व्यंग्य से मुस्कुराये - तथास्तु।
घमंड से चूर चाहे मनुष्य हो या दानव या देवता कोई न कोई ग़लती ज़रूर करता है। यही गलती कर गया वो राक्षस राज दसग्रीव रावण। उसने मनुष्य को तुच्छ समझा।
आगे चल कर पृथ्वीलोक पर रावण का आतंक अति कर गया। तब भगवान विष्णु ने मनुष्य के रूप में अवतार लिया। और रावण का अंत किया।
नोट - हे मनुष्य अपनी विद्वत्ता और ताक़त घमंड मत कर। अन्यथा यही तेरे काल का कारण बनेगा।
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22-10-2015 mob 7505663626
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Lucknow - 226016

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