Tuesday, October 25, 2016

मोटा आदमी

- वीर विनोद छाबड़ा
हम मोटे लोगों के विरुद्ध नहीं हैं और न ही उनसे पूछते हैं कि भाई किस चक्की का पीसा आटा खाते हो। हम उन्हें देख कर हंसते भी नहीं। दरअसल, हमारे ख़ानदान में भी एक से बढ़ कर एक मोटे हैं। बस आलटाईम रिकॉर्ड किसी का नहीं है। हम कभी मोटे तो नहीं रहे लेकिन स्कूल के दिनों में कुछ लोग मोटू बोल दिया करते थे।
 
सिनेमा के परदे पर मोटे लोग परिहास के लिए रखे जाते हैं। हमें इस पर भी सख्त ऐतराज़ रहा है।
लेकिन हम यह ज़रूर सोचते रहे हैं कि जब कोई सेहतमंत आदमी दरजी की दुकान जाता होगा तो उसका नाप लेने के लिए उसे खासी मशक्क़त करनी पड़ती होगी। कल हम अपने दरजी की दुकान पर पैंट का नाप देने गए। संयोग से वहां हमसे पहले एक खूब मोटा आदमी मौजूद था।
हम कौतुहलवश देखने लगे कि नाप कैसे ली जाती है। हमारे दरजी ने मोटे सज्जन की और ईशारा करते हुए कहा - इन्हें निपटाने में देर लगेगी। आईये पहले आप को निपटा दें।
हमने कहा - नहीं। फर्स्ट कम, फर्स्ट सर्व।
हमारे दरजी ने इंचीटेप का एक सिरा मोटे आदमी को पकड़ाया - आप इसे थामिये। मैं आपके गिर्द चक्कर लगा कर आता हूं।
मोटा आदमी हंस दिया - आप बहुत दुबले-पतले और कमजोर हो। चक्कर लगाते ज़माना गुज़र जाएगा। थक जाएंगे। आप बस इंचीटेप का दूसरा सिरा मजबूती से पकड़े रहिये। मैं ही घूम लेता हूं।
दोनों ही जोर जोर से हंस पड़े।

हमारे दरजी ने कहा - जब जब यह हज़रत कपडे सिलवाने आते हैं, ऐसा ही मज़ाकिया नज़ारा पैदा होता है। टैक्स फ्री एंटरटेनमेंट।
मोटे व्यक्ति को देख न हंसने की कसम खा चुके हम भी हंस दिए।
दुनिया में मोटा आदमी ही है जिसका चेहरा हंसमुख होता है। वो सदा दूसरों के लिए हंसी का पात्र रहा है, हंसाता भी है। मोटापे को सर्कस और परदे कैश भी कराया है। लेकिन आईने में खुद की बेचारगी पर रोता है।

हमारे एक ज़िंदादिल मोटे मित्र कहते हैं - यार, आख़िरी वक़्त में मुझे उठाने के लिए तुम लोगों को कहीं से क्रेन का इंतज़ाम करना पड़ेगा।
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25-10-2016 mob 7505663626
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