Thursday, February 4, 2016

उस दिन फ़ारिग़ होने को तरस गए।

- वीर विनोद छाबड़ा
हमें याद आ रहा है वो ४३ साल पहले गुज़रा वो दिन जब हम एक दोस्त की शादी अटेंड करने शहर से कोई पचास-साठ मील दूर एक छोटे से कस्बे में गए थे।

क़स्बा क्या था गांव ही समझिये। जहां ठहराये थे उसके आगे-पीछे खेत ही खेत थे। दूर दूर तक फैले खेत। हम ठहरे शहरी आदमी और वो भी लखनउवा। तबीयत भी कुछ अंग्रेज़ किस्म की। बस रात सोने के लिए आरामदायक बिस्तर और सुबह फ़ारिग़ होने का बढ़िया बंदोबस्त। लेकिन वहां ये सब नहीं था।
सर्दी के दिन थे। रात तो लालटेन की धीमी रोशनी में जैसे-तैसे कट गयी। लेकिन सुबह हालत ख़राब।
गुज़री रात बहुत भरपेट स्वादिष्ट भोजन किया था और अल सुबह गुड़ की चाय पी। वाकई आनंद आ गया था। लेकिन उसके बाद फ़ारिग होना निहायत ज़रूरी था। मेज़बान ने टीन के डिब्बों की कतार दिखा दी। मुंह तक भरा था पानी। अपनी ज़रूरत के हिसाब से चाहे एक डिब्बा उठाओ या दो और निकल लो दूर खेतों में। यहां फ़ारिग होने का यही तरीक़ा था। सरल और सस्ता।
हमें तो काटो खून नहीं। ऐसी स्थिति हम अकेले ही नहीं झेल रहे थे। हमारे जैसे कई थे। मरता क्या न करता। टीन का एक डिब्बा उठा लिया। एक समझदार ने अख़बार का एक एक सफ़ा भी पकड़ा दिया। यह अख़बार उसने गुज़रे दिन सफ़र के दौरान ख़रीदा था।
बहरहाल, हम लोग चल दिए। राह दिखाने को आगे-आगे एक लोकल बंदा। नम ज़मीन पर बिखरी ओस और चारों और धुंध ही धुंध। तीन-चार फिट से आगे दिखना मुश्किल हो रहा था। लोकल बंदा साथ न होता तो जाने कहां निकल गए होते। पतली मेढ़ों पर डांस जैसा संतुलन बनाते हुए एक जगह पहुंचे।
लोकल ने कहा - यह ठीक-ठाक जगह है। यहां कोई आता-जाता नहीं। फैल जाईये।
डिब्बे में पानी आधा रह गया था। टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियों के कारण उलीच गया था। इधर प्रेशर बढ़ता ही जा रहा था। जैसे ही हम बैठने को हुए कि आकाशवाणी हुई। यह लोकल बंदे की आवाज़ थी। भैया, नीचे ठूंठ देख कर। यहां कभी अरहर का खेत था।  हमने गौर किया कि वाकई नीचे ठूंठ थी। वक्त रहते आकाशवाणी न हुई होती तो जाने क्या होता? इसकी कल्पना करते हम आज भी कांप उठते हैं।

बहरहाल, हम उस वक्त बहुत डर गए। इस डर के प्रेशर से फ़ारिग़ होने वाला प्रेशर भी आधा हो गया। जैसे-तैसे हम निपटे।
डेरे पर पहुंच कर तुरंत हम लोगों ने सामान समेटा और पहली उपलब्ध बस से लखनऊ लौट आये। और घर पहुंचते पहला काम फ़ारिग़ होने का ही किया।
वो दिन है और आज का हम कहीं शादी आदि समारोह में जाते हैं तो सबसे पहले देखते हैं कि फ़ारिग़ होने के इतंजाम की जानकारी प्राप्त करते हैं। अन्यथा ठिकाने के आस-पास किसी होटल में अपने ठहरने का बंदोबस्त कर लेते हैं।
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04-02-2016 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar 
Lucknow - 226016

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