Saturday, February 6, 2016

तस्वीर बन कर दीवार पर टंगा होता!

- वीर विनोद छाबड़ा
सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए बहुत ख़राब है। इस बात को हर सिगरेट पीने वाला जानता है।
मैं भी जानता था। लेकिन फिर भी पीता रहा। अभी कौन सी जल्दी है। जब वक्त आएगा छोड़ दूंगा।

मैं चालीस क्रॉस कर चुका था। सोचा अब छोड़ दूं। बहुत हो चुका। लेकिन इसके बावजूद यही होता रहा कि आज नहीं कल छोड़ दूंगा। कल हुआ तो एक दिन और सही। अगला दिन आया तो आज बुध है। अगले संडे को बाज़ार क्लोज़ और सिगरेट भी।
बस यही करते-करते सालों गुज़र गए। जिस दिन छोड़ी उस दिन मैं ५३ का था। कोई तक़लीफ़ नहीं थी। बस परिस्थिति ऐसी बनी कि मैं खुद पर क़ामयाब हो गया। तैंतीस साल तक सिगरेट पी मैंने। 
अगस्त २०१२ में मुझे ज़बरदस्त खांसी शुरू हुई। हफ्तों ठहर गयी। कई डॉक्टर बदले। ठीक ही नहीं हुई। आख़िर चेस्ट स्पेशलिस्ट की दहलीज़ पर लैंड हुआ। भांति भांति के टेस्ट, सस्ते और महंगे भी।
मैंने कहा - अच्छा कर दो हमें। हफ़्तों से ठीक से सो नहीं पा रहा हूं। किसी के घर जाने में भी शर्म आती है। खांसी कैसे छुपाऊं? हरेक कोई नए डॉक्टर का नाम बताता है। आप अंतिम हैं। अब और हिम्मत नहीं।
डॉक्टर ने टेस्ट रिपोर्ट देखते हुए मेरे कंधे पर हाथ रखा और पूछा - सिगरेट?
मैंने कहा - एक्स स्मोकर। कोई नौ साल हुए छोड़े हुए।
डॉक्टर ने कहा - अच्छा हुआ, नहीं तो आज तस्वीर बनकर दीवार पर टंगे होते। आपको हाई लेवल की एलर्जी है - अस्थमा। ठीक हो जायेंगे, बशर्ते  दवा ईमानदारी से लें।

मित्रों, थोड़ा टाईम लगा, मैं ठीक हो गया। बीच बीच में खांसी होती है। इधर लंबे समय से बचा हुआ हूं। अपने को खूब बचा कर रखता हूं। लेकिन, किसी भी किस्म के धुंए से परेशानी होती है। बच कर रहता हूं। मुझे चाहने वाले दोस्त पहले हवा का रुख देखते हैं और अगर बहुत ज़रूरी हुआ तो बहुत दूर बैठ कर सिगरेट पीते हैं। जब भी मौसम बदलता है, दिल धड़कने लगता है। हल्की सी भी खांसी आती है तो केजरीवाल जी की याद आती है।
नोट - मित्रों जितनी जल्दी हो सके छोड़िये सिगरेट को। वरना दीवार पर तस्वीर बन कर टंग जाओगे, ऊपर माला होगी और नीचे अगरबत्ती या धूप। यह  वाकई सेहत के लिए बहुत ख़तरनाक है।
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06-02-2016 mob 7505663626
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