Monday, June 19, 2017

चमत्कार होते हैं

- वीर विनोद छाबड़ा
पत्नी गंभीर रूप से बीमार है। ब्लड कैंसर है। बेइंतहा प्यार करने का दम भरने वाले पति ने सारे जतन कर डाले ।
दिल्ली, मुंबई, चेन्नई आदि तमाम बड़े शहरों के स्पेशलिस्ट से चेक-अप कराया। लंदन, जर्मनी और न्यूयार्क भी हो आये। होमियोपैथी, आयुर्वैदिक, यूनानी और हक़ीम से देख लिया। लेकिन कहीं से भी अच्छी ख़बर नहीं मिली। ऑपरेशन एकमात्र सहारा है, मगर हाई रिस्क है। बचने का चांस सिर्फ दस परसेंट।
डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। दुआ करो। हवन करो। टूना-टोटका करो। जो मर्ज़ी हो करो। हर हर बोलो या ज़िंदाबाद, तुम्हारी मर्ज़ी। मगर चांस नहीं के बराबर  है। चमत्कार ही एक मात्र सहारा है।
बेपनाह प्यार करने वाला पति ज़ार ज़ार रो रहा है। पल पल गिन रहा है। अब गई, तब गई वाली स्थिति है।
पत्नी ने पति का हाथ अपने हाथ में लिया - मत रो जानू। अगले जन्म में मिलेंगे। वादा करो। ऊपर जल्द से जल्द आओगे। तब वहां मौज करेंगे /
पति ने कहा - न होंगे जुदा, ये वादा रहा।
मगर मरती पत्नी को शक़ है कि ज़मीन-आसमान एक देने वाले पति की आंखों से झर-झर टपकते आंसू असली हैं या नकली। वादा असली है या झूठा। उसने पति के आंसूं पोंछे - जानू, एक बात सच्ची-सच्ची बताना। मेरे मरने के बाद क्या तुम दूसरी शादी करोगे?

पति ने अंतिम सांसे लेती पत्नी को गले लगा लिया - बेहतर होगा अगर यह सवाल मत पूछो। मैं तुम्हें संतुष्ट नहीं कर पाऊंगा।
पत्नी ने तुनक कर पति को परे धकेल दिया - मगर क्यों?
पति ने उसके सर पर हाथ फेरा - अगर मैं कहता हूं हां, तो तुम नाराज़ हो जाओगी। और अगर मैं कहता हूं नहीं, तो इसका मतलब होगा कि मैं सफ़ेद झूठ बोल रहा हूं।
यह सुनते ही चमत्कार हो गया। मुमकिन नामुमकिन हो गया। मेडिकल साइंस चकित हो गई। ऊपर अब गई, तब गई जाने वाली पत्नी पर दवाईयों का असर होने लगा। वो धीरे-धीरे ठीक होने लगी। वो उठ कर बैठ गयी। चलने भी लगी। उसे ज़ोरो की भूख भी लगने लगी। कुछ दिन बाद वो डिस्चार्ज होकर घर भी आ गई।

पति असमंजस्य में है कि उसने सच बोल कर ठीक किया या ग़लत। 
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19 June 2017
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