Wednesday, July 5, 2017

संक्षिप्त जवाब।

- वीर विनोद छाबड़ा
कई साल पहले एक पत्रिका में किस्सा पढ़ रहा था। इससे एक पुरानी सीख याद आई। जब हमने बिजली बोर्ड में नौकरी शुरू की थी तो हमारे एक सीनियर ने इसे बताया था।
प्रथम विश्व युद्ध (1914-1919) शुरू हुआ तो इंग्लैंड के प्रधानमंत्री हर्बर्ट हेनरी एस्क्विथ थे। लेकिन इंग्लैंड को युद्ध में लीड के लिए एक सूझ-बूझ और दूरदृष्टि वाला प्रधानमंत्री चाहिए था, जिसमें तुरंत-फुरत  कठोर एक्शन लेने की क्षमता भी हो। इस तथ्य के दृष्टिगत एक मिली-जुली सरकार बनी। लिबरल पार्टी के डेविड लॉयड जॉर्ज को प्रधानमंत्री बनाया गया। वो 1916 से 1922 तक इंग्लैंड के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने इंग्लैंड को युद्ध में निर्णयाक जीत दिलाई। उन्हें 'वार हीरो' भी कहा गया।
एक दिन वो अपने एक नौजवान सांसद के साथ किसी समारोह में जा रहे थे। वो रास्ता भटक गए। दिमाग पर बहुत जोर डाला, लेकिन फिर भी बूझ न पाये।
तब उन्होंने उधर से गुज़र रहे एक साईकिल सवार से पूछा - क्या तुम बता सकते हो कि इस समय हम कहां हैं?
उस सवार को नहीं मालूम था कि वो मुल्क के प्रधानमंत्री से मुख़ातिब है। उसने उन्हें घूरते हुए कहा - श्रीमान जी इस समय आप कार में हैं।
इतना कह उस सवार ने तेजी से अपनी साईकिल आगे बढ़ा ली।
जवान सांसद को इस बेहूदा जवाब पर बहुत गुस्सा आया। अभी इसकी ऐसी-तैसी करता हूं।
लेकिन जार्ज कतई विचलित नहीं हुए। उन्होंने कहा - इसकी हाज़िर जवाबी से हमें सबक लेना चाहिए।
सांसद को हैरानी हुई - वो भला कैसे?
जार्ज ने समझाया - उत्तर पूर्णतया सटीक है। बहुत शार्ट उत्तर दिया इसने। उसने उतनी ही जानकारी दी जितनी प्रश्न में चाही गई थी।
नौजवान सांसद जार्ज का मुंह देखने लगा - वाह! कितनी जल्दी आपने विश्लेषण कर लिया।
जार्ज ने मुस्कुराते हुए आगे कहा - पार्लियामेंट में प्रश्नों का उत्तर हमेशा संक्षिप्त और टू दि पॉइंट होना चाहिए।
हमें याद आया कि सरकारी नौकरी में रहते हुए जब हम विधान सभा में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर तैयार कर रहे होते थे तो इस बात को याद रखते थे कि उत्तर भटकाने वाला न हो और जितना पूछा गया हो गया उतना ही हो, न एक शब्द इधर और न उधर। इंग्लिश प्रधानमंत्री लॉयड जार्ज की उक्त नसीहत ज़रूर याद रखते थे। हम अपने अधीनस्थों की समझाते थे कि ज्यादा बोल कर अपने को समझदार बताने की कोशिश मत करो क्योंकि जिसको जवाब दे रहे हो वो शातिर है और फूंक निकालने  में माहिर है। पूछ बैठेगा - 1919 में जालियां कांड के समय आप कहां थे?

और मेरे ख्याल से फेस बुक पर पोस्ट डालते समय भी इस इस नसीहत का ध्यान रखना चाहिए। 
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05 July 2017
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2 comments:

  1. अत्यंत विचारणीय ,अतिसुन्दर आभार। "एकलव्य"

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  2. अच्छी नसीहत, विचारणीय!

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