Saturday, July 22, 2017

अंग्रेज़ी में हाथ तंग

-वीर विनोद छाबड़ा 
अंग्रेज़ी में हाथ तंग होना कोई शर्म की बात नहीं है। हम खुद इसके मरीज़ रहे हैं। अंग्रेज़ी अख़बारों और फ़िल्मी रिसालों को पढ़ कर हमने अंग्रेज़ी सीखी। बाकी कसर बड़े बुज़ुर्गों ने ठीक कर दी। नौकरी के शुरुआती १५ साल तो अंग्रेज़ी में ही काम करना पड़ा। यों सरकारी कार्यालयों में माशाअल्लाह अंग्रेज़ी से भी काम चल जाता है।
कहने का मक़सद यह कि हम अंग्रेज़ी के फन्ने खां कतई नहीं हैं। इसलिये पौने दो साल पहले जब हमारा फेस बुक पर आने का आईडिया बना तो दिल बैठ गया। यहां तो सब अंग्रेज़ी वाले लाटसाहब और राय बहादुर होंगे। हमारी बिसात तो लाइक और शेयर से आगे शायद ही बढ़ पाये। मगर इस आभासी दुनिया में कदम रखते ही जब हमने हिंदी वालों का जलवा और वर्चस्व देखा तो दिल बल्लियां उछलने को हो गया।
पहले अंग्रेज़ी से हिंदी के लिए भार्गव साहब की डिक्शनरी होती थी। अब तो गूगल ही सेकंडों में बता देता है सही क्या और गलत क्या। ठीक-ठाक स्पेलिंग भी गूगल बता देता है।
अब मैं आपको उस ज़माने की बात बताता हूं जब अंग्रेज़ी में हाथ तंग होने के बावजूद लोग चूं तक नहीं करते थे। प्रशंसा समझ स्वीकार कर लेते थे और जब असल मतलब समझ आता था तो ज़ाहिर है हंगामा तो होना ही था।
एक भद्र महिला जब ज्यादा सर खाती थी तो हमें मजबूरन क्षोभ के साथ कई बार कहना पड़ा  - प्लीज, गेट लॉस।
लेकिन उन पर कोई असर नहीं होता था। वो मुस्कुरा देतीं। हमीं उठ कर चल देते।
एक दिन वो उन्होंने हम पर चारों और से हमला बोल दिया। बहुत बिगड़ीं। दरअसल उन्हें किसी ने 'गेट लॉस' अर्थ बता दिया था - निकल जाओ यहां से। कुछ दिन बाद वो रैपीडेक्स इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स की किताब पढ़ कर इतनी अच्छी अंग्रेज़ी तो सीख ही गईं कि कोई उन्हें मूर्ख न बना सके।
बचपन में हमने एक लतीफ़ा पढ़ा था। एक भारी-भरकम बच्चे को उसके मित्र 'हिप्पोटॉमस' कहा करते थे। उसे यह सुन कर अच्छा लगता था। कई महीने गुज़र गए। फिर एक दिन उसने कई मित्रों को पीट दिया। उन्होंने पीटे जाने का कारण पूछा। उस भारी भरकम बच्चे ने बताया - कल मैं चिड़ियाघर गया था और मैंने वहां पहली दफ़े दरियाई घोड़ा देखा। वहां अंग्रेज़ी में भी लिखा था - हिप्पोटॉमस।
ऐसा ही एक वाक्या और है। बात तब की है जब हम कक्षा नौ या दस के छात्र होते थे। हमारे बीच एक लड़का होता था। बिखरे-बिखरे बाल और मैली-कुचैली ड्रेस। शायद गर्मी में भी कभी-कभी नहाता था। उसे हम लोग शैबी (shabby) कह कर चिढ़ाते थे। उसने इस पर कोई प्रतिकूल प्रतिक्रिया भी व्यक्त नहीं की।
हम लोग समझ गए कि जिस दिन उसे शैबी असली मतलब समझ आएगा उस दिन हम लोगों की शामत आ जायेगी।
और आख़िर वही हुआ। उसने पिटाई तो नहीं की। लेकिन नाराज़ बहुत हुआ। उसने जिस डिक्शनरी में इसका अर्थ देखा था उसमें शैबी का अर्थ लिखा था - झबरे बाल वाला कुत्ता।
बहरहाल इससे फायदा यह ज़रूर हुआ कि उस दिन के बाद वो साफ़-सुथरा रहने लगा। आगे चल कर वो एक राष्ट्रीय बैंक का मैनेजर भी बना।
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22 July 2017
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