Thursday, August 11, 2016

ट्रैफिक मुस्तैदी।

- वीर विनोद छाबड़ा 
शहर में ट्रैफिक व्यवस्था पहले से बेहतर लग रही है। उस दिन आधी रात में अभिषेक पत्नी के साथ पूरी मस्ती में थे और गाना गाते हुए कार दौड़ा रहा था। उसने एक ट्रैफिक सिग्नल की अनदेखी की। सिपाही ने उन्हें रोकने की कोशिश की। लेकिन वो अपनी धुन में मस्त। रुका नहीं। सिपाही ने पीछा करके रोका - क्या नाम है तुम्हारा? और यह तुम्हारे साथ कौन है? गाड़ी के कागज़ दिखाओ।
अभिषेक थोड़ा घबड़ा गया - जी, मेरा नाम अभिषेक है। और यह मेरी पत्नी ऐश्वर्या।
सिपाही ने कागज़ात देखते हुए कहा - तुम्हारी पीछे की राईट साइड लाईट नहीं जल रही है।
अभिषेक ने अंजान बनते की कोशिश की - अरे, अभी थोड़ी देर पहले ही तो जल रही थी। शायद अभी-अभी फ्यूज हुई है। मैं कल ज़रूर बदलवा लूंगा।
अभिषेक की बात ख़त्म हुई ही थी कि ऐश्वर्या बोल पड़ी - क्यों झूठ बोलते हो? पिछले एक हफ्ते से मैं बार बार कह रही हूं कि ठीक करा लो।
सिपाही ने अभिषेक को घूरा - और तुम्हारा ड्राईविंग लाईसेंस भी पंद्रह दिन पहले खत्म हो चुका है।
अभिषेक ने अचकचा गया - ओह, मुझे याद नहीं रहा। मैं कल ज़रूर रीन्यू करा लूंगा।
ऐश्वर्या ने फिर हस्तक्षेप किया - सिपाही जी, पिछले पंद्रह से मैं इन्हें बीस दफ़े याद दिला चुकी हूं।
इस बार अभिषेक से बर्दाश्त नहीं हुआ। ऐश्वर्या को कस कर डांट लगा दी। कितनी दफ़े कहा है कि मुंह पर ढक्कन लगा कर रखा करो। लेकिन तुम्हारे मुंह में तो बवासीर है।
ऐश्वर्या रुआंसी हो गयी। सिपाही को ऐश्वर्या पर तरस आ गया  - क्या यह हमेशा ऐसे ही डांटता रहता है?

ऐश्वर्या ने सिसकते हुए स्पष्ट किया - नहीं, हरदम नहीं। यह तभी डांटता जब दारू पिए होता है।
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पुछल्ला  - एक बार हम ड्राईव कर रहे थे। पत्नी और बेटी बहुत ज़ोर ज़ोर से बात कर रहीं थीं। इससे हमें ड्राईव करने में दिक्कत हो रही थी। हमने उन्हें डांट दिया। एक लाल बत्ती पर कार रोकनी पड़ी। संयोग वहीं डिवाईडर पर एक सिपाही भी खड़ा था। बेटी ने सिपाही से शिकायत की कि अंकल, मेरे पापा ने बेल्ट नहीं बांधी है। सिपाही ने हमें घूरा। हमने झट से बेल्ट लगा ली। लेकिन सिपाही ने हमें कड़क मौखिक वार्निंग ज़रूर दे दी कि कुछ बेटी से सीखो। हमारी बेटी खूब हंसी। पापा को डांट पड़ी। बदला पूरा हुआ और पैसा भी वसूल हो गया।
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11-08-2016 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016


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