Sunday, November 1, 2015

इक्का-तांगा स्टैंड वाले डॉ एसएआर रिज़वी।

- वीर विनोद छाबड़ा 
क़रीब २२ साल पुरानी बात है। मेरे पिता जी के एक गहरे दोस्त थे डॉ एस.ए.आर. रिज़वी। इल्मो-अदब के खासे शौक़ीन। मेरे पिताजी की दोनों साथ-साथ सारा इंडिया घूमे थे।

लखनऊ के डालीगंज इक्का-तांगा स्टैंड के पास उनका क्लीनिक था और निराला नगर में घर।  हमारे घर से करीब आठ-नौ किलोमीटर दूर। कई लोग उन्हें एक्का-तांगा स्टैंड वाले डॉ रिज़वी भी कहते थे। पिताजी उन्हीं से ईलाज कराते थे। क्लीनिक पर बहुत भीड़ रहती थी। इसलिये अक्सर उनके घर जा धमकते थे। उन दिनों पिताजी काफ़ी अस्वस्थ चल रहे थे। कुछ हज़म नहीं हो रहा था। कुछ भी खाते तो फ़ौरन कै हो जाती। हम पहुंचे डॉ रिज़वी के घर।
डॉक्टर साहब ने क़ायदे से मुआयना किया। बोले - मैं तो नाड़ी चेक करके ईलाज करने वाला डॉक्टर हूं। मेरा उसूल तो नहीं है मेरा। लेकिन आपके मामले में मजबूर हूं। होकर मास्टर हेल्थ चेक-अप करा लें। सब पता चल जाएगा।
हमारे घर पास ही एक नामी-गिरामी डायग्नोस्टिक सेंटर था। वही रेफेर कर दिया उन्होंने।
दूसरे दिन सारा चेक-अप हो गया। शाम तक रिपोर्ट भी आ गयी।
डॉ रिज़वी ने रिपोर्ट देखी। बिना अगली सांस लिये अपनी कार निकाली। और मशविरे के लिए ले गए एक नामी-गिरामी सर्जन डॉ केएम सिंह के पास। सर्जन ओटी जा रहे थे ऑपरेशन करने।
डॉ रिज़वी को देखते ही रुक गए। खड़े-खड़े रिपोर्ट देखी। बोले - कल आ जाईये, अल्ट्रासोनिक बाईएफ़सी कर दूंगा। तीन हज़ार ख़र्च होंगे।
हम चलने लगे तो उन्होंने कहा - मेरी फ़ीस, ढाई सौ रूपए।
मैंने फीस दे दी। डॉ रिज़वी को बहुत गुस्सा आया। अमूनन एक डॉक्टर दूसरे डॉक्टर से फ़ीस नहीं लेता।
डॉ रिज़वी ने हमारे पिताजी को पीजीआई रेफेर कर दिया। डॉ साहब खुद अपनी कार से उन्हें पीजीआई लेकर गये। डॉक्टर को दिखाया। और भर्ती करवा दिया। वही हुआ जिसका डॉ रिज़वी को अंदेशा था। कैंसर।
डॉ रिज़वी जब चलने लगे तो मेरे हाथ में एक लिफ़ाफ़ा पकड़ाया।
मैंने देखा यह उसी डाइग्नोस्टिक सेंटर का था जहां पिताजी का मास्टर हेल्थ चेकअप हुआ था। मैंने खोला तो उसमें ३१३ रूपए थे। मैंने डॉक्टर साहब की और देखा।
वो मेरा आशय समझ गए - यह मेरा २५% कमीशन है जो डाइग्नोस्टिक सेंटर ने भेजा है। रामलाल साहब मेरे बड़े भाई हैं। आजतक उनसे फ़ीस नहीं ली तो यह कैसे ले सकता हूं? कुछ दिनों बाद पीजीआई ने पिताजी को डिस्चार्ज कर दिया - कोई ईलाज नहीं। आराम करिये और दिन गिनिये।
डॉ रिज़वी इतनी जल्दी हार मानने वालों में नहीं थे। उन्होंने लखनऊ के कई दूसरे डॉक्टरों को केस रेफ़र किया। जिसमें कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ एनसी मिश्रा, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ पुरी और एक रेडियोलोजी वाले डॉ शर्मा भी थे। लेकिन किसी ने फ़ीस नहीं ली, इसलिये कि डॉ रिज़वी ने भेजा है।   
डॉ रिज़वी अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन जब कभी डालीगंज से गुज़रता हूं तो उनके बंद क्लीनिक के सामने मिनट भर के खड़ा ज़रूर हो जाता हूं।
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01-11-2015 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar 
Lucknow- 226016

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