Wednesday, November 11, 2015

कंटाप रसीद दिया - शाहरुख ही क्यों पसंद है?

- वीर विनोद छाबड़ा
मुझे याद आ रहा है नब्बे का दशक। 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' रिलीज़ हो चुकी थी। शाहरुख़ खान की गुड्डी सातवें आसमान पर थी। हर दूसरा-तीसरा लड़का शाहरुख़-कट हेयर स्टाईल। जैसे अपने ज़माने में देवानंद कट।
शाहरुख की आवाज़ और एक्टिंग की भी नकल उतारी जा रही थी। कई शोहदों के पर्स में फोटो भी रहने लगी थी शाहरुख की। लड़कियों के तकिये के नीचे शाहरुख की तस्वीर पायी जाने लगी।

एक क्या हुआ कि हमारी एक सहकर्मी के १८-१९ साल बेटे को सिपाहियों ने धर दबोचा। टाईम रात एक बजे। किसी शादी की दावत उड़ा कर लौट रहे थे। इलज़ाम - थोड़ी-थोड़ी लगी हुई थी। हेलमेट नहीं। एक मोटर साईकिल पर तीन सवारी। उस पर तुर्रा यह कि रोकने पर भी नहीं रुके। दौड़ा कर पकड़ना पड़ा। तलाशी हुई। जेब से पर्स निकला। रुपया पैसा तो कुछ ख़ास नहीं। यही कोई पच्चीस-तीस रूपए। भिखमंगों की औलाद हैं साले सबके सब। 
लेकिन इंस्पेक्टर खान का खून इससे नहीं खौला। खौला तो इस बात पर कि हेयर स्टाईल शाहरुख खान जैसी और डबल जुर्म कि पर्स में फोटो भी निकली तो शाहरुख़ खान की। साले, लोग लौंडिया की फोटो रखते हैं और यह हैं कि.
जाने क्यों इंस्पेक्टर खान बहुत घृणा करते थे, शाहरुख से। शायद इसलिए कि अगर शाहरुख़ पैदा न हुआ होता तो शर्तिया वो फिल्मों में हीरो होते। बहरहाल, घसीट कर एक कंटाप रसीद दिया - आजकल जिसे देखो शाहरुख़ खान बना फिरता है। अबे, कोई दूसरा एक्टर नहीं मिला क्या? आमीर खान में क्या बुराई है?

इंस्पेक्टर खान दिल के बुरे नहीं थे। बंद नहीं किया - अभी किशोर हैं। कैरियर ख़राब हो जायेगा। बुलाओ घर वालों को। लिखा-पढ़ी और वार्निंग देकर करके छोड़ दो। और हां यह शाहरुख़ खान कट बंद। अगर दोबारा देखा तो अंदर कर दूंगा। यह कहते हुए तीनों का एक एक कंटाप और रसीद कर दिया। 
लेकिन पसंद-नापसंद कभी थोपने से नहीं डरी। कोई दो साल पहले एक समारोह में दिखा था हमारी सहकर्मी का वो बेटा। माशाअल्लाह ३३-३४ का था, हैंडसम।  और हेयर स्टाईल वही - शाहरुख़ खान वाली।
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