Sunday, August 13, 2017

भूख न लगना किस बीमारी के लक्षण?

- वीर विनोद छाबड़ा
क़रीब महीना भर होने को आया है। भूख नहीं लगती है। पहले रोटी की भूख गायब हुई और अब चावल नहीं अच्छे लगते। वज़न भी कम हो गया है।
यार दोस्त तो देखते ही कृपालू हो जाते हैं - अरे, क्या हो गया? इतने मुरझाये हुए दिखते? डॉक्टर को दिखाया? क्या कहा?
हम जैसे टाल जाते हैं - आज से ठीक एक महीने बात दाह संस्कार है.और फिर चार दिन बाद क्रिया।
मित्र आश्चर्य चकित हो जाते हैं। शायद वो यही सुनना हैं।
हम जोर से हंस देते हैं। मित्र हैरान होते हैं।
हम हम उनका भ्रम मिटाने के लिए हंस देते हैं - डॉक्टर कहता है। आपकी उम्र और हाइट के हिसाब से वज़न ठीक है।
लेकिन मित्र पीछे पड़े हैं। फलां डॉक्टर को दिखाओ। लेकिन किसी ने यह नहीं कहा - चलो मैं चलता हूं, तुम्हारे साथ।
एक ने इतनी मेहरबानी ज़रूर की कि मैं तुम्हारे साथ चला चलता, लेकिन मुझे कल ज़रूरी काम है। और परसों साले के बेटे का कनछेदन। कानपुर जाना।
चटपटा खाना अच्छा लगता है। लेकिन डरता हूं कि कोई और प्रॉब्लम न हो जाये। मित्रगण भी एक कदम आगे बढ़ते हैं और दो कदम पीछे। कुछ गड़बड़ हो गयी तो सारा इलज़ाम मुझ पर आ जायेगा।
कल एक जगह से न्यौता आया था। पेशे से कैटरर हैं। अपना विज्ञापन ज्यादा करते हैं। कल भी बहुत बड़ा विज्ञापन लगा था। मसवारा, नामकरण, कनछेदन वगैरह वगैरह वगैरह। लगा जैसे कहना चाहते हैं  कि यह सब संस्कार उचित दर पर सम्पन्न होते हैं।
वैसे हम उनके यहां जाते नहीं। लेकिन चले गए इसलिए कि चटपटे आईटम देख कर भूख खुल जाए। लेकिन ऐसा कुछ न हुआ। फिर उनका व्यवहार देख कर दिल और भी खराब हो गया। हमने व्यवहार पकड़ाया। उन्होंने हाथों से तौला। समझ गए कि रकम हलकी है। बेमन से पकड़ा। हमें उपेक्षित भाव से देखा।

हमारे एक मित्र भी थे साथ में।
हमारे प्रति मेज़बान का रूखा रवैया देखा तो मित्र को भय लगा कि उनके प्रति भी मेज़बान नज़रिया न बदल जाए। मित्र को लगा हमारी कुसंगत का वायरस  आ जाय। लिफ़ाफ़ा हल्का हो जाए। जल्दी से कट गए हमसे।
फिर वो मेज़बान की परिक्रमा करने लगे। इधर हम बिना कुछ खाये-पिए पांच मिनट में लौट आये। उन्होंने हमें जाते हुए देखा भी। पुछा भी नहीं कि अभी अभी और अभी अभी चल दिए।
इधर हम घर आये। ब्रेड रखी थी। अरहर की दाल में डुबो डुबो कर खा लिया। और तब तक खाते रहे जब तक कि मन न भर गया। यह आइटम हमें अच्छा लगता है।
हफ्ता भर पहले हम यही आइटम भकोस रहे थे कि एक मित्र पधारे। हमें खाता देख वो बर्दाश्त नहीं कर पाए। उन्होंने हमें डरा दिया - चलाचली के आसार हैं। हमारे साले साहब की चचिया सास ऐसे ही गयी थीं। रात सोई और सुबह फ्लैट मिलीं।
अब कल हमें डॉक्टर के पास जाना ड्यू है। देखें भूख न को वो किस बीमारी के लक्षण बताते हैं वो, बशर्ते हम सुबह बिस्तर पर फ्लैट न पाए जायें।
---
१३ अगस्त २०१७

No comments:

Post a Comment