Thursday, November 27, 2014

खतरनाक लाल गेंद!

- वीर विनोद छाबड़ा
ये लाल गेंद बड़ी खतरनाक है।    

खबर है कि फिल ह्यूज़ परलोकवासी हो गए हैं। वो दो दिन पहले ऑस्ट्रेलिया के घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट में साउथ अफ्रीका के लिए न्यू साउथ वेल्स के विरुद्ध एक मैच में घायल हुए थे। सीन अबोट की एक राइजिंग गेंद उनके कान के पास लगी थी। उस समय उन्होंने हेलमेट पहन रखी थी। मैच सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर चल रहा था। उनका तुरंत ऑपरेशन भी हुआ था।

यकीन नहीं होता। दुनिया भर की तमाम आधुनिक चिकित्सीय सेवाओं की उपलब्धता के बावजूद ह्यूज़ को बचाया नहीं जा सका। सच है नियति में लिखे को कोई मिटा नहीं सकता। इंसान यहीं हारा है।


बहुत दुखद घटना है यह। जहां तक मुझे स्मरण है ह्यूज़ तीसरे क्रिकेटर हैं जो खेल के दौरान गेंद लगने से चल बसे।

क्रिकेट के तमाम मठाधीशों को सोचना पड़ेगा कि नियम, कानून-कायदों और खेल की दशाओं की पुनः समीक्षा करें ताकि गेंदबाज़ को बाउंसर फेंकने का हक़ सीमित हो सके। अच्छा हो कि बाउंसर समाप्त ही कर दिया जाए। यों भी बाउंसर से खिलाड़ी आउट कम होते हैं और घायल ज्यादा।

बाउंसर के समर्थकों का कथन है कि ये बल्लेबाज़ को डराने के लिए है। बल्लेबाज़ अगर घायल होता है तो इसलिए कि वो गेंद को समझ नहीं पाता जिससे डक करने से वो चूकता है और परिणामस्वरूप गेंद उसके शरीर के किसी हिस्से को चोटिल कर देती है।

मेरी समझ के अनुसार अच्छा गेंदबाज वो है जो बल्लेबाज़ को कातिलाना गेंदबाज़ी के बजाए स्पीड, स्विंग और स्पिन से चकमा दे कर डराए। अपने व्यक्तित्व की विशालता से डराए। मंत्रमुग्ध कर दे। फिरकी की तरह नाचती और घूमती गेंदों से डराए। रिकार्ड्स बताते हैं कि ऐसी ही गेंदों पर बल्लेबाज़ ज्यादा चकमा खाए हैं।

क्रिकेट भद्र पुरुष के खेल है। ये बाउंसर से डराने धमकाने की बात तो मवाली और गुंडे किया करते हैं। मुझे अच्छी तरह याद है कि वेस्ट इंडीज और ऑस्ट्रेलिया के कतिपय तूफानी गेंदबाज़ कहा करते थे बल्लेबाज़ के जिस्म से खून बहता देख कर उनको ख़ुशी हासिल होती है। और मज़े की बात ये है कि दर्शक भी वहशी होकर तालियां बजाते थे। घरेलू मैचों में ये प्रवृति ज्यादा दिखती है। ये क्या है ? कैसी सोच है? क्यों नहीं ऐसी सोच वाले क्रिकेटरों को बहिष्कृत किया गया?


घायल करने की मंशा से फेंके गए बीमर को नो बाल घोषित करने का नियम है। अच्छा हो कि उसमें बाउंसर को भी शामिल कर लिया जाये।
क्रिकेट प्रेमियों को भी बाउंसर के विरुद्ध अभियान में पहल करनी चाहिए। ज़रूरत हो तो सड़कों पर उतरें।
 

सुरक्षा कवच बनाने वाली तमाम कंपनियों को भी सोचना चाहिए की तमाम सुरक्षा कवच के बाबजूद बल्लेबाज़ असुरक्षित क्यों है? क्यों कोई ऐसी कमी रह जाए कि मौत को चांस मिले?
क्या अंतर्राष्ट्रीय मैचों में किसी जानलेवा हादसे की प्रतीक्षा है? बहरहाल दुआ करता हूं फिल ह्यूज़ की आत्मा को शांति मिले।

ये पहला मौका नहीं है। पहले भी कई बार लाल गेंद जान लेने पर उतारू हो चुकी है।

- १९२९ में लॉर्ड्स के मैदान पर हेरोल्ड लारवुड की गेंद कैमरून के सर पर लगी। वो कई दिन तक कोमा में पड़े रहे। इस बीच लारवुड चर्च में प्रार्थना करते रहे।

- १९३२-३३ की कुख्यात बॉडी लाइन सीरीज़ में लारवुड की ही गेंद ने ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर बर्ट ओल्डफील्ड की खोपड़ी तोड़ दी।

- १९५४-५५ में फ्रैंक टाइसन को ऑस्ट्रेलियाई रे लिंडवाल के बाउंसर ने गिरा दिया। वो काफी देर तक बेहोश पड़े रहे। बाद में टाइसन ने इंग्लैंड को ये टेस्ट ३८ रन से जिताया।

- १९६१-६२ में वेस्ट इंडीज के चार्ली ग्रिफ़्थ की गेंद ने इंडियन कप्तान नारी कांट्रेक्टर के सर ज़बरदस्त वार किया। नारी कई दिन तक बारबाडोस के अस्पताल में बेहोश पड़े रहे। उनकी जान पर बन आई थी। इस बीच उनका ऑपरेशन हुआ और आत्मग्लानि से ग्रस्त चार्ली अस्पताल में ही पड़े ज़ार-ज़ार रोते रहे। नारी दोबारा टेस्ट नहीं खेल पाये।

- १९७५ में न्यूज़ीलैंड के लिए पहला टेस्ट खेल रहे इवान चैटफील्ड को इंग्लैंड के पीटर लीवर के बाउंसर ने तो कुछ देर के लिए क्लिनिकली डेड कर दिया था। उन्होंने अपनी जीभ निगल ली थी। फिजियो बर्नार्ड थॉमस ने गले की नली को साफ़ कर उनकी जान बचाई। तेज गेंदबाज़ इवान ने बाद में ४३ टेस्ट खेले और १२३ से ज्यादा विकेट लिए। एकदिवसीय में १४० विकेट झटके।

- १९७७ के सेंचुरी टेस्ट में इंग्लैंड के बॉब विल्लीस की तेज गेंद ने ऑस्ट्रेलिया के रिक मकोसकर का जबड़ा तोड़ दिया था।

- १९७८-७९ के एडिलेड टेस्ट में रिक डार्लिंग के सीने पर इंग्लिश बॉब विलीज़ की गेंद इतने ज़ोर से लगी कि वो ब्रीथलेस हो गए। चूइंगम उनके गले के बैक से चिपक गयी। स्पिनर जॉन एम्बुरी  precordial thump देकर कर उनकी सांस वापस लाये।

- १९८६ की गर्मियों में भ्रमणकारी वेस्ट इंडीज के मेलकॉम मार्शल के बाउंसर को इंग्लिश बल्लेबाज़  माइक गैटिंग समझ ही नहीं पाये और नतीजे में नाक की हड्डी तुड़वा बैठे। कई साल तक वो टूटी नाक वाले गैटिंग कहलाते रहे।

- लेकिन भारत के रमन लांबा खुशकिस्मत नहीं रहे। १९९८ में वो बांग्लादेश लीग में फॉरवर्ड शार्ट लेग पर खड़े थे। बल्लेबाज़ की हिट से उनकी खोपड़ी के कई टुकड़े हो गए। लाख कोशिशों की बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।

- पाकिस्तान के अब्दुल अज़ीज़ के सीने पर ज़ोर से गेंद लगी। उन्हें भी बचाया नहीं जा सका।

- कोई दो साल पहले साउथ अफ्रीका के मार्क बॉउचर की लेफ्ट आई का लेन्स और पुतली चली गई। मगर उन्हें गेंद ने नहीं हिट किया था। गेंद विकेट पर लगी।   गिल्ली उड़ी और उनकी आंख में जा लगी। मार्क को नहीं मालूम था कि ये उनका आख़िरी टेस्ट साबित होगा। मार्क ने १४७ टेस्ट में विकेट के पीछे रिकॉर्ड ५३२ कैच और २३ स्टंप किये और ५५१५ रन बनाये। एक दिवसीय में ऑस्ट्रेलियाई अदम गिलक्रिस्ट के बाद सबसे ज्यादा ४०३ कैच और २२ स्टंप किये। २९५ मैचों में ४६८६ रन भी बनाये। 

- भारत के विकेट कीपर सबा करीम भी ऐसे ही अपनी आंख गवां बैठे थे। मार्क बॉउचर की भांति करीम भी कभी क्रिकेट नहीं खेल पाये।

ये तो टॉप क्रिकेट की रिकार्डेड घटनाएं हैं। नीचे लेवल पर ये लाल गेंद न जाने कितने मासूमों के ज़िंदगी पर मौत बन कर मंडराई और न जाने कितने मौत के मुहं में समा गए।

- वीर विनोद छाबड़ा Mob.7505663626

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