आज 13 अक्टूबर
है। आज ही के दिन भागलपुर में अशोक कुमार का जन्म हुआ था। अशोक कुमार का सिनेमा में
साठ साल का लंबा सफर चला। उन्हें कभी दुर्दिन के दिन नहीं देखने पड़े। अशोक कुमार के
इस लंबे सफर के कुछ अहम पड़ाव निम्मलिखित हैं-
- उनका असली
नाम कुमुदलाल कुजींलाल गांगुली है।
- बात 1936 की
है। अशोक कुमार बांबे टाकीज़ में लैब असिस्टेंट थे। फिल्म ‘जीवन नैया’ फिल्म का हीरो
भाग गया। बांबे टाकीज़ की मालिकिन और नायिका देविका रानी बौखला गयीं। डायरेक्टर हिमांशु
राय, जो देविका के पति थे, की नज़र कुमुदलाल पर पड़ी। देविका रानी को भी वो जंच गये।
इस तरह वो हीरो बन गये। उनका नाम भी बदल गया - अशोक कुमार।
- अगली फिल्म
थी, अछुत कन्या। उच्चजाति के युवक के अनुसूवित जाति की युवती से प्रेम कहानी। इसकी
नायिका भी देविका रानी थीं। उस ज़माने में देविका रानी बहुत बड़ा नाम था। तमाशबीन उनके
दीवाने थे। हीरो महज़ खानापूर्ति के लिये था। मगर अछूत कन्या ने देविका रानी के साथ
साथ अशोक कुमार को भी पसंद किया। यही से उनकी हिट जोड़ी बनी।
- इसके बाद देविका
के साथ इज़्ज़त, सावित्री और निर्मला भी चलीं।
- उनकी लीला
चिटनिस के साथ जोड़ी भी खूब बनी -कंगन, बंधन और झूला।
- उस ज़माने के
रिवाज के मुताबिक हीरो अपने गाने खुद गाते थे। उनका गाया ये गाना बहुत मशहूर हुआ था-
मैं बन की चिड़िया, बन बन डोलूं रे.....
- उन्हें मधुबाला
के साथ ‘महल’ और ‘हावड़ा ब्रिज’ में खासा पसंद किया गया। ‘चलती का नाम गाड़ी’ में भी
दोनों साथ थे मगर आमने-सामने नहीं।
- उन्होंने सर्वाधिक,
दर्जन भर से ज्यादा, फिल्में मीना कुमारी के साथ फिल्में कीं - परिणीता, बादबान, बंदिश,
शतरंज, एक ही रास्ता, सवेरा, आरती, चित्रलेखा, बेनज़ीर, भीगी रात, बहु बेगम, जवाब, पाकीज़ा
आदि।
- वो पहले हीरो
हैं, जिन्होंने 1943 में रिलीज़ ‘किस्मत’ में एंटी हीरो का रोल किया था। इसी फिल्म का
गाना है यह- दूर हटो ये दुनिया वालो हिंदुस्तान हमारा है....। यह फिल्म बांबे में रेकार्ड
लगातार तीन साल चली थी।
- वो पहले हीरो
थे जिन्होंने फिल्मों में अभिनय को थियेटर के प्रभाव से मुक्त करके स्वभाविक अभिनय
पर जोर दिया।
- उनके दो अन्य
भाई किशोर कुमार और अनूप कुमार ने भी फिल्मों में नाम कमाया था। उनकी ‘चलती का नाम
गाड़ी’ सुपर डुपर हिट थी।
- मेहरबान में
खराब आर्थिक परिस्थितियों उनका सिगरेट छोड़ने का दृश्य बहुत सराहा गया था। कई लोगों
ने इस दृश्य से प्रभावित होकर सिगरेट छोड़ दी थी।
- उनको परिवार
में प्यार से दादामुनी यानि हीरे जैसा बड़ा भाई कहा जाता था। फिल्म बिरादरी ने भी उनका
यही नाम अपना लिया।
- वो उर्दू के
मशहूर अफसानानिगार सआदत अली मंटो उनके गहरे दोस्तों में थे।
- उन्होंने छोटे
भाई किशोर कुमार की 1987 में मृत्यु से दुखी होकर अपना जन्मदिन मनाना बंद कर दिया था।
- उनकी दो बेटियां
में से बड़ी रूपा गांगुली प्रसिद्ध अभिनेता देवेन वर्मा से ब्याही है और छोटी प्रीति
गांगुली अच्छी हास्य अभिनेत्री थी। उनका 2012 में निधन हो गया था।
- उनका विवाह
निर्माता-निर्देशक शशधर मुकर्जी की बहन शोभा से हुआ था।
- अशोक कुमार
अभिनय के अलावा एक बहुत अच्छे रजिस्टर्ड होम्यापैथ भी थे। बताया जाता है कि उन्होंने
असाध्य रोग से ग्रस्त कई रोगियों को भी ठीक किया था। वो अच्छे चित्रकार भी थे।
- उन्होंने
275 से अधिक फिल्में की। कई फिल्मों का ज़िक्र ऊपर हो चुका है। कुछ अन्य प्रमुख फिल्में
हैं- दीदार, धर्मपुत्र, गुमराह, कानून, धूल का फूल, ज्वेल थीफ, इंतकाम, विक्टोरिया
नं0 203, छोटी सी बात, खूबसूरत, खट्टा-मीठा, शौकीन, पूरब और पश्चिम, अनुराग, नया ज़माना,
ममता, दुनिया, मेरे महबूब, सत्यकाम, आज और कल, अनपढ़, चोरी मेरा काम आदि।
- उन्हें राखी
तथा आर्शीवाद के लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और अफसाना के लिये सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता
का फिल्मफेयर पुरुस्कार मिला। फिल्मफेयर ने 1995 में लाईफटाईम एवार्ड भी दिया। भारत
सरकार ने 1989 में सिनेमा में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिये दादासाहब फाल्के एवार्ड
दिया। 1998 में उन्हें पद्यम भूषण से अलंकृत किया गया।
- अशोक कुमार
हार्टफेल होने के कारण 10 दिसंबर को परलोकवासी हो गये।
---
- वीर विनोद
छाबड़ा 13 अक्टूबर, 2014 मोबाईल 7505663626
No comments:
Post a Comment