-वीर विनोद छाबड़ा
लाख टके का सवाल है - कल का दिन किसका? टीम इंडिया या ऑस्ट्रेलिया? इस सवाल के जवाब की
तलाश में कुछ लोग रात भर नहीं सोयेंगे।
दिल से दुआ की होती तो सामने ऑस्ट्रेलिया नहीं की पाकिस्तान टीम होती। तब तो चढ़
कर खेलते। सातवीं बार लगातार हराते। खैर छोड़ो। अब गुज़रे पर क्या रोना!
अजब निराला खेल है क्रिकेट। गज़ब का हाई फीवर। सेमी-फाइनल से पहले फाइनल आ गया।
यों भी अब पाकिस्तान की जगह ऑस्ट्रेलिया पारंपरिक प्रतिद्वंदी हो चला है। विश्वकप से
पहले मौजूदा ऑस्ट्रेलिया टीम ने मौजूदा टीम इंडिया को पटक-पटक कर मारा था। इंग्लैंड
से ज्यादा टीम इंडिया को हराने में मज़ा मिला था उसे।
मगर आज यही ऑस्ट्रेलिया टीम डर रही है और टीम इंडिया आँखें दिखा रही है। राख के
ढेर से आग उगलने वाला फीनिक्स पक्षी उठ खड़ा है। कागज़ और मैदान पर ऑस्ट्रेलिया भारी
है। लेकिन हौसलों की उड़ान के मामले में टीम इंडिया को तनिक बढ़त हासिल है।
विश्वकप के सफर में अब तक लगातार सात जीत। विपक्ष चारों खाने चित्त। कोई नहीं बचा।
एक-एक को गिन-गिन कर पटका। इस टीम इंडिया के बंदे डाईव भी करते हैं और हवा
में उछल कर कैच भी पकड़ते हैं। लॉन्ग आर्म से थ्रो सीधा विकेट पर फ़ेंक लेते हैं। निशानची
हो गए हैं। गेंद को मैंदान में पकड़ते भी सफाई से हैं। ऊंचे कैच भी लपकते हैं। यानी
फील्डिंग के हर फ़न में माहिर हैं। पता नहीं कौन सी घुट्टी पी लिए हैं। ऐसा पहले कभी
नहीं हुआ। अच्छी फील्डिंग और कैचिंग टीम की जीत का आधार बनता है। ऑस्ट्रेलिया को यही
डर सता रहा है।
ऑस्ट्रेलिया ने भले ही पाकिस्तान को हरा दिया। लेकिन हारते-हारते वो भलामानूस वहाब
रियाज़ पोल-पट्टी खोल गया। ऑस्ट्रेलिया को उसी के हथियार से मारो। वो तुम्हें तेज़ गेंद
से डरायें। तुम भी डरियो नहीं। दे बाउंसर पे दे बाउंसर। खाट खड़ी कर दो। वॉटसन एंड कंपनी
की। हमारी भी दुआएं लगेंगी। मो.समी के साथ उमेश है और पीछे-पीछे मोहित। पेस बैटरी बढ़िया
वाली है। चार्ज भी है। बस फायर करने की देर है।
रनों का अंबार लगाने में निपुण और पीछा करने में भी माहिर शिखर व रोहित के बाद कोहली, रैना और रहाणे। खुद
धोनी भी। विकेट के आगे भी और पीछे भी फुल फॉर्म में।
ऑस्ट्रेलिया हैरान है कि यह वही टीम है जिसे विश्वकप से पहले दौड़ा-दौड़ा और पटक-पटक
कर मारा था। लेकिन अब न पीट पाओगे। माना हर विभाग में तू डाल-डाल मैं पात-पात। मगर
स्पिन में टीम इंडिया थोड़ा आगे है। अश्विन है और जडेजा जड़ियल, जो विकेट भले न ले
पाये मगर रनों पर ब्रेक लगा देता है। चकमा देने वाले दो-चार धीमी रफ़्तार के ओवर तो
शिखर, रोहित और रैना भी अच्छी तरह डाल देते हैं।
फ़िक्र टीम इंडिया को तो यह है कि टीम ऑस्ट्रेलिया का एक से ग्यारह तक खिलाड़ी बक-बक
कर सकता है। और अपनी ओर से सिर्फ़ कोहली है। त्रासदी देखो उसका मुंह खुलता है तो सारा
ज़माना पीछे पड़ जाता है।
सिडनी का मैदान स्पिनर्स की बढ़िया चरागाह है। यह एक छिपी एडवांटेज है टीम इंडिया
को।
टिकट बिक चुके हैं। आधे तो खरीद ले गए हम हिंदुस्तानी। ऑस्ट्रेलिया की परेशानी।
यह तो इंडिया का माहौल है।
मुझे बस फ़िक्र है तो इतनी कि ऊपर गॉड की सीट पर ड्यूटी किसी भारतीय की है या डाउन-अंडर
समर्थक अंग्रेज़ की। किस्मत के ऊंठ को किसके पक्ष में बैठने का आदेश मिलता है?
मुझे शक़ है कि यह मैच न्यूज़ीलैंड-साउथ अफ्रीका की तरह क्लिफ-हैंगर होगा!
यह पूर्णतया एक पक्षीय होगा। जो जीता वही सिकंदर!
२५-०३-२०१५
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