Thursday, May 7, 2015

स्कूटर पुराण बनाम लौकी!

-वीर विनोद छाबड़ा
आज सुबह खुशगवार थी। मैंने स्कूटर की सफाई शुरू की।
मेरी हर गतिविधि पर पैनी नज़र रखने वाली मेमसाब ने पूछा - इतनी सुबह कहां जा रहे हो?
मैंने कहा - कहीं नहीं। बस यूं कई दिन से धुलाई नहीं की। आज मैकेनिक को भी दिखाना है। पीछे के हिस्से में खटर-पटर बहुत है।
मेमसाब ने जम्हाई ली - इसमें तो रोज़ कुछ न कुछ गड़बड़ रहती है।
मैंने कहा - हां। इसके कई कारण हैं। कंपनी बंद हो चुकी है। पुर्ज़े नहीं मिलते। जुगाड़ का सहारा लेना पड़ता है। और फिर उम्र भी तो हो चली है स्कूटर की। मेमसाब अपनी चिर-परिचित खुड़पेंच पर उतरीं - ऐसी चीज़ लेने की ज़रूरत ही क्या थी?
मैंने कहा - भागवान, मुझे क्या मालूम था कि कंपनी बंद हो जाएगी।
मेमसाब में गोला दागा - तो पहले पता कर लेना चाहिए था।
मैं झुंझलाया - माई, जब खरीदी थी तो अच्छी-भली कंपनी चल रही थी। रोज़ सैकड़ों लोग उस कंपनी का स्कूटर खरीदने पर उतावले थे। मैंने भी खरीद लिया।
मेमसाब इतनी आसानी से छोड़ने वाली नहीं थी - दूसरों ने जो स्कूटर खरीदें थे, उनके तो नहीं ख़राब हुए। पडोसी शर्मा जी और सामने सनवाल जी का तो चल रहा है।
मैंने कहा - उनके स्कूटर दूसरी कंपनी के हैं। देखने में तो सब एक जैसे हैं। तुम्हें क्या मालूम मरम्मत को वो जाते हैं। हफ्ते में रोज़ दो-चार किलोमीटर चलायेंगे तो लाइफ ज्यादा हो जायेगी। और फिर ड्राइविंग पर भी स्कूटर की लाइफ डिपेंड करती है।
मेमसाब ने एक और फायर किया - तो तुम भी ढंग से चलाया करो। और थोड़ा कम भी चलाओ। कह कर जाते हो आधा घंटा। दो घंटे बाद लौटते हो।
मैंने डिफेंस लिया - ढंग से ही तो चलाता हूं। अब कोई पुराना दोस्त मिल जाता है तो गप-शप में थोड़ी देर हो ही जाती है।
मेमसाब आसनी से छोड़ने वाली कहां - मेरी समझ में नहीं आता कि रिटायर लोग क्या बातें करते होगे?
मुद्दा खामखां ही लंबा खिंच रहा है और ट्रैक से बाहर भी हो रहा है। मैं इसे ट्रैक पर लाता हूं - सोचता हूं यह मरम्मत आख़िरी है। इसके बाद इस बेच कर नयी खरीद लूं।
मेमसाब के कान खड़े हुए - नई खरीदने से क्या फायदा? वो भी ख़राब हो गई तो?
आज मैं भाषण देने के मोड में हूं  - अरे मैय्या, मशीन है। चलेगी तो ख़राब तो होगी न? कोई भी चीज़ अनंत तक नहीं चलती। यह शरीर भी ख़राब होता है। इसे भी दवा देनी पड़ती है। ऐसे ही मिक्सी, वाशिंग मशीन, फ्रिज, कूलर, टीवी वगैरह कितने ही आईटम ख़राब होते हैं। मरम्मत होती रहती है। कभी-कभी बदलना भी पड़ता है।  
मेमसाब हार मानने वालों में नहीं थीं - वो तो रोज़ इस्तेमाल में लाने वाली चीज़ें हैं। ख़राब होगी ही न।

मैंने कहा - ठीक इसी स्कूटर भी रोज़ इस्तेमाल होने वाला आइटम है। कभी बैंक जाना तो कभी पेंशन लेने। कभी हाउस टैक्स जमा करना है तो कभी वाटर टैक्स और कभी इनकम टैक्स । अलावा इसके और भी सैकड़ों काम हैं। इससे आसानी भीरहती है। जहां चाहो पार्क कर लो। यह सब तुम नहीं समझोगी।
मुझे लगा आज मेरी जीत हुई है। मेमसाब लाजवाब हैं। तभी सब्जी वाले की आवाज़ आती है। मेमसाब हाथ में पकड़ा झाड़ू वहीं फ़ेंक कर लपकीं - अरे भैया, ज़रा लौकी तो दिखाना।

मेरी पतंग हत्थे से कट गयी। दिन में लौकी और रात में मूंग की दाल बनेगी। खीज निकालने का बढ़िया तरीका है यह उनका।
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-वीर विनोद छाबड़ा
07 May 2015 Mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar Lucknow-226016

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