- वीर विनोद छाबड़ा
मेमसाब उस दिन शाम वो बाजार करके लौट रही थीं। कंधे पर लटके झोले में भरे सामान
से लदी-फंदी। कुछ सामान हाथों में भी था। इसमें एक पोलीथीन बैग में दर्जन भर केले और
दूसरे हाथ में मिठाई का डिब्बा।
अचानक पीछे से एक बंदर आया और उसने केले वाला बैग उनके हाथ से छीना और भाग खड़ा
हुआ।
मेमसाब कुछ समझ ही नहीं पायीं। उन्हें ऐसा लगा जैसे कोई बच्चा है, जो शरारत कर रहा है।
आस-पास खड़ी कुछ महिलायें ये तमाशा देख रहीं थीं। वो बंदर को केले का बैग छीन कर
भागते हुए देख ज़ोर से हंसी।
तब मेमसाब को अहसास हुआ कि कहानी कुछ और ही है। वो पलटीं। देखा, एक बंदर केले का बैग
लेकर भाग रहा है।
देखते ही देखते बंदर एक मकान की ऊंची बॉउंड्री वाल पर जा बैठा और केले छील कर खाने
लगा।
मेमसाब 'हट हट' करती रहीं। अब फुदक कर दीवार पर तो चढ़ नहीं सकती थीं।
इधर बंदर कहां मानने वाला। इतने में तीन-चार बंदर और आ गए। आपस में छीना-झपटी शुरू
हो गयी।
मेमसाब के सामने घुटने टेकने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं रहा - मंगल का दिन
है। चलो माफ़ किया। समझेंगे कि हनुमान जी को चढ़ावा हो गया।
यों हमारी मेमसाब बहुत हल्की-फुल्की हैं। शुक्र है कि बंदर उन्हें उठाकर नहीं ले
गया।
वैसे हमारी मेमसाब का बंदरों से पुराना रिश्ता है। उनके मायके में भी बंदरों का
आना-जाना लगा रहता था। एक बार हम उनके घर में बैठे चाय सुड़क रहे थे। एक प्लेट में कुछ
बिस्कुट भी सामने रखे थे। बंदर आये और बिस्कुट उड़ा कर ले गए थे। बिस्कुट चुंकि घटिया
क्वालिटी के थे, इसलिए हमें कतई अफ़सोस नहीं हुआ था। बल्कि बचे हुए दो बिस्कुट भी हमने उनके हवाले
कर दिए थे।
बहरहाल, विवाह पूर्व मेमसाब को कितनी बार बंदरों ने काटा, यह ब्यौरा ससुरालवालों
ने तो हमारी तमाम कोशिशों के बावजूद नहीं दिया। दरअसल, इस रिकॉर्ड की ज़रूरत
हमें तब पड़ी जब विवाह के उपरांत एक बदंर ने उन्हें बेवज़ह काटा। तीन या चार महंगे वाले
इंजेक्शन लगे थे। यह घटना करीब सोलह साल पहले की है।
तब डॉक्टर ने हमारे कान में धीरे से कहा था - ध्यान रखियेगा। एक बार जिसे बंदर
काटता है, वो कभी भी बंदरों जैसी उछल-फांद शुरू कर सकता है। और एक बार बंदर जिसे काट ले बंदर
उसे काटने को बार-बार भी आ सकते हैं।
यों अभी तक तो मेमसाब की गतिविधियां सामान्य हैं, ठीक वैसी ही जैसी कि
बरसों पहले मायका छोड़ते वक़्त थीं और बैकग्राउंड में रिकॉर्ड चल रहा था - छोड़ बाबुल
का घर आज पी के नगर मोहे जाना पड़ा.…
लेकिन मेमसाब कभी-कभी कुतर्क करती हैं तो संदेह होता है कि यह बंदर काटे का असर
तो नहीं है।
हालांकि हालिया घटना के संबंध में उन्होंने बयान ज़ारी किया है कि बंदर ने केला
छीनते वक़्त उन्हें टच तक नहीं किया।
लेकिन इसके बावजूद हम एहतियातन कुछ ज्यादा ही सतर्क हैं। दरअसल, ऐसा करना हमारी मजबूरी
है। असहिष्णुता का ज़माना है।
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नोट - यह पोस्ट मेमसाब के हुक्म से लिखी गयी है।
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20-04-2017 mob 7505663626
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