Wednesday, April 26, 2017

न्यौता एक को, जाएंगे ढाई दर्जन!

-वीर विनोद छाबड़ा
हमारे एक सहकर्मी हुआ करते थे - ओमबाबू। निहायत विचित्र किस्म के।
जब भी किसी भी समारोह में मिलते परिवार के ढाई दर्जन सदस्यों के साथ। गिफ़्ट का लिफ़ाफ़ा १०१ या १५१ से अधिक कभी नहीं रहा। जाएंगे ज़रूर। चाहे बर्थडे पार्टी हो या मुंडन संस्कार। तिलक हो या लेडीज़ संगीत। यहां तक कि सत्यनारायण की कथा और अखंड रामायण को भी नहीं छोड़ा। हर समारोह के हर कार्यक्रम में पूरी श्रद्धा के साथ उपस्थित हुए।
न्यौता अकेले का हो या 'श्रीमती और श्री' का हो या विद फैमली का उनके साथ ढाई से पौने तीन या चार दर्जन तो हो सकती है मगर एक भी कम नहीं।
बरसों पहले किसी ने पूछा भी था - बुलाये अकेले जाते हो और पहुंचते ढाई.
वो बात काटते हुए काटने को दौड़े थे - सात फेरे लिए हैं पत्नी के साथ। हर दुःख-सुख में साथ रहने की कसम खाई है। कैसे भूल जाऊं उसे? जन्मजन्मांतर तक न सही, सात जन्मों तक तो मिनिमम साथ रहना ही है.और पांच पांच छोटे छोटे बच्चों को कुएं में धकेल दूं क्या? बुलाने वालों को शर्म नहीं आती सिर्फ पति पत्नी को न्यौता देते हुए।
और फिर घर आये मेहमानों से क्या कहूं आप घर बैठ कर बनाओ और खाओ हम तो पार्टी में डिनर उड़ाने जा रहे हैं।
अब जा ही रहे होते हैं तो पडोसी के उस बच्चे को छोड़ना इंसाफ नहीं है जो दिन भर हमारे घर में बच्चों के साथ लूडो खेलता है।
जब पडोसी का बच्चा ले जा सकता हूं तो भाई के बच्चे पराये तो हो नहीं सकते। बहन के बच्चे भी पड़ोस में रहते हैं। थोड़ा गरीबी में पले हैं। उनका भी तो दिल करता है पार्टी-शार्टी खाने का।
एक बात ये बताईगा, पूरी ईमानदारी से। इनविटेशन कार्ड के ऊपर आपने श्री ओमजी लिखा, अंदर मगर छपवाया - सपरिवार पधार कर वर-वधु को आशीर्वाद देने का कष्ट अवश्य करें। क्यों?

चलिए सब छोड़िये। हमें दावे के साथ बताएं कोई शादी या प्रीति भोज ऐसा होता है होता है जिसमें फ़र्ज़ी लोग नहीं घुसे होते हैं। ये पंद्रह से बीस फ़ीसदी होते हैं। हम आप नहीं पहचान सकते मगर कैटरर को सब मालूम होता है।
और कितना खाना वेस्ट होता है और बच भी जाता हैं।
हम ज़रा पुरषार्थ का काम किये तो आपको मिर्ची क्यों लगी भला?
मैंने जब उनके हर तर्क के बारे ने सुना तो मन ही मन में निरूत्तर हो गया। हमने सुना था कि एक बार ओमजी बिना बुलाये ही एक सहकर्मी की दावत में विद फुल फैमिली के साथ घुस गए थे। उनका तर्क यह था - भूल गए होंगे। 

नोट - ओमबाबू जैसे लोगों के कारण ही तो कई निमंत्रण पत्रों पर ये शब्द हटा दिए हैं - वर-वधु को सपरिवार पधार कर आशीर्वाद अवश्य दें।
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27-04-2017 mob 7505663626
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D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226017

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