-
वीर विनोद छाबड़ा
हम रोज़ चैनल न्यूज़ में देखते हैं। अख़बार में पढ़ते हैं । रेडियो पर सुनते हैं। इधर-उधर
से सुनते हैं। कोई आकर बता भी जाता है।
एक मां अपने दूध पीते बच्चे को कूड़ेदान में फ़ेंक कर चली जाती है। सुबह पौ फटने
पर उस पर एक राहगीर की नज़र पड़ती है। उस मासूम को कुत्ते नोच रहे थे। वो उन्हें भगाता
है। घंटे भर बाद आंखें मलते पुलिस आती है।
पहले तो बहस होती है कि यह कूड़ेदान किस थाने के हल्के में है। भीड़ जमा होने लगती
है। पुलिस को डर लगता है कि राजनीति न शुरू हो जाये। चैनल मीडिया वाले गिद्द न आ धमकें।
वो उस मासूम को अस्पताल में भर्ती करती है। और जैसे कि उम्मीद थी, डॉक्टर उस बच्चे को
मृत घोषित करता है।
वारदात वाले इलाके के एक पार्क में पंचायत लगी है। इसी मुद्दे पर बहस हो रही है।
एक ने कहा, ऊपर वाले की मर्ज़ी है इसमें। दूसरे और तीसरे ने भी कमोबेश यही कहा। चौथे ने कहा, ज़रूर ऊपर वाले की इस
मंशा में भी कोई भलाई छुपी होगी। इसे हम न पढ़ पा रहे हैं, और न सुन पा रहे हैं
और न समझ पा रहे हैं। आगे कोई बोला,
हम कर ही क्या सकते हैं? जिसने ज़िंदगी दी, उसी ने वापस ले ली।
तकरीबन सबने अपने कर्तव्य की ऐसा ही कुछ न कुछ बयान दिया। परम ज्ञानी-ध्यानी होने
का ढोंग करते हुए दर्शनशास्त्र पर मंथन किया और बिलकुल अलग ही कभी न सुनी तर्कहीन व्याख्या
की। सूरज सर पर चढ़ आया तो सभा की इतिश्री हुई। किसी ने ऊपर वाले को ज़िम्मेदार नहीं
ठहराया। सब ऊपर वाले को बचाने की कोशिश करते हुए दिखे।
हम चीख उठते हैं। रुको, मेरी बात भी सुनते जाओ। अरे भाई ऊपर वाले की ऐसी मर्ज़ी कैसे चलेगी? बच्चे ने दुनिया में
अभी देखा ही क्या था? यह कैसा इंसाफ है ऊपर वाले का?
लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिलता। हमें यह कह कर धकिया जाता है कि तुम नास्तिक हो।
जब तुम्हें विश्वास ही नहीं तो ऊपर वाले के इंसाफ़ को कैसे समझोगे।
हम फिर चीखते हैं कि अरे भाई मैं आस्तिक बनने के लिए तैयार हूं मगर मेरे प्रश्नों
का उत्तर तो दे दो। मुझे तर्क दे कर संतुष्ट तो कर दो ऊपर वाला सही करता है। लेकिन
हमारी आवाज़ नक्कारखाने में तूती की तरह बजती ही रह जाती है।
तभी सिक्योरटी गॉर्ड डंडा हिलाता हुआ आता है। किससे बात कर रहे हो? सब तो चले गए। घर जाओ
बाबा। पार्क बंद होने का टाइम हो गया।
आज फिर एक और सवाल का जवाब नहीं मिला। हम हारे हारे से भारी क़दमों से लौट लेते
हैं। आजकल किसी से बहस करना बेकार है। कल से सब बंद।
---
03 July 2017
---
D-2290 Indira Nagar
Lucknow -226016
mob 7505663626
No comments:
Post a Comment