Sunday, July 9, 2017

सूट हो तो पत्नी की पसंद का

- वीर विनोद छाबड़ा
हमारे वो मित्र इंटेलीजेंट के अलावा मददगार भी बहुत थे। तन-मन-धन से सदैव आगे रहे। ज़िंदगी से भरपूर। हर पल को एन्जॉय किया। कल रहें या न रहें।
लेटेस्ट डिज़ाइन के क्वालिटी वस्त्रों  के शौक़ीन। हर महीने दो-तीन नए जोड़े। लोग आश्चर्य करते थे। कहां से आता है इतना पैसा? दरअसल वो पीछे से खाते-पीते घर के थे। उनकी पत्नी भी कमाऊ थी। मित्र के साथ बस एक ही प्रॉब्लम थी। रंगों की पसंद कुछ ठीक नहीं थी। इस मामले में वो अपनी मेमसाब की सलाह नहीं लेते थे। मित्रों की राय पर चलते थे। राय क्या? अपनी पसंद पर मित्रों से मोहर लगवाते थे। करनी तो उन्हें अपने मन की होती थी।  
हम इस मामले में हम कभी साथ नहीं रहे। हमने कह रखा था कि जहां दख़ल और हक़ आपकी मेमसाब का होगा, हम नहीं घुसेंगे वहां।
एक दिन हम कार से जा रहे थे। उनका उसूल था वो जिस दिन कार से चलते थे तो सफ़ारी ज़रूर पहनते।
उस दिन भी उन्होंने बढ़िया सफ़ारी पहन रखा था। गहरा बैंगनी रंग। बता रहे थे, आज पहली बार पहना है।
फ्यूल के लिए एक पेट्रोल पंप पर रुके। कुछ देर के लिए पेट्रोल पंप बंद था। टैंकर से टैंक में पेट्रोल की फिलिंग हो रही थी।
गर्मी बहुत थी। कार में एयर कंडीशनर नहीं था। हम बाहर निकल आये।
तभी एक फैशनेबुल नौजवान ने भन्न से हमारे आगे मोटर साईकिल रोकी। गोरे-गोरे मुखड़े से काला काला चश्मा उतारा। और हमारे मित्र की ओर मुख़ातिब हुआ। पच्चास का पेट्रोल 
हमारे मित्र तमतमा उठे। उनका गेहुंआ रंग वाला चेहरा लाल-सुर्ख हो गया।  
इससे पहले कि ज्वालामुखी फटता, हमने मोर्चा संभाल लिया - अमां, देख कर बात किया करो। हमारे डिप्टी सेक्रेटरी हैं।

नौजवान को ग़लती का अहसास हुआ। फ़ौरन माफ़ी मांगी - इन्फ़ैक्ट, मैं इनकी ड्रेस के कलर से कन्फ्यूज़ हो गया। गलती से इन्हें सेल्समैन समझ बैठा।
हमारे मित्र ने उस दिन के बाद से कान पकड़े। सफ़ारी पहनना बंद कर दिया। पत्नी ने उलहाना दी, यह तो होना ही था। तब से पत्नी की पसंद के कपड़े पहनने लगे।
मित्र दूसरों को शिक्षा भी देने लगे। पत्नी की पसंद के कपड़े पहना करो। इससे बड़ा फ़ायदा होता है। वो ध्यान रखती है कि भीड़ में भी उसका पति श्रेष्ठ और जवान दिखे। खासतौर पर मायके में उसकी हनक रहे। ऊंच-नीच होने पर पति को भी मौका मिलता है। अब अगर तुम्हारी सहेली के पति का सूट मुझसे अच्छा था तो मैं क्या करूं? तुम्हारी ही तो पसंद थी। ऐसे में संभावना भी रहती है एक और नए सूट की।
सच्ची बात - फिक्शन के हलके से तड़के के साथ। मित्र अब इस फ़ानी दुनिया से कूच कर चुके हैं। लेकिन जब किसी को सफ़ारी ड्रेस में देखता हूं तो बड़ी शिद्दत से मित्र की याद आती है।
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09 July 2017
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D-2290 Indira Nagar
Lucknow-226016
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