-वीर विनोद छाबड़ा
सभी भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उत्सव में तल्लीन हैं। कोई
गिरधर गोपाला बोल रहा है तो कोई यशोदानंदन हुआ जा रहा है। आस्थाओं का सैलाब उमड़ रहा
है।
खबरिया चैनलों ने बाद मुद्दत के एक नेता विशेष की जय/पूजा को
किनारे कर दिया है। पड़ताल कर रहे हैं - राधा क्यों गोरी और कृष्ण क्यों काला?
भारतीय संस्कृति का अटूट हिस्सा है ये त्यौहार। बचपन में खूब
बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। बाद में मूक दर्शक हो गए। इंतिज़ार करते रहे, कब आधी रात हो, कृष्ण जी जन्में
और चरणामृत गटकने को पंजीरी फांकने को मिले।
अब मैं आपको इक्यावन साल पीछे ले जा रहा हूं। नायिका भगवान कृष्ण
के समक्ष शिकायत कर रही है - मुझे काला क्यों बनाया? बनाया भी तो
दूसरों को उजला दिल देखने वाली नज़र क्यूं नहीं दी?
यों ऐसे शुभ अवसर पर ऐसा प्रलाप करना तो नहीं चाहिए। लेकिन नायिका
की नहीं, उस जैसे लाखों की मजबूरी है। हालात कतई नहीं बदले हैं। काले
वर्ण वालों को गौर वर्ण के समक्ष आज भी हीन
भावना से देखा जाता है।
शायद भगवान आज इस दुखयारी का करुण रुदन सुन कर इंसाफ कर दें।
मेरे ज़माने के बंदो को याद होगा कि दक्षिण भारत का एक प्रोडक्शन
हाऊस हुआ करता था - एवीएम। आंसू बहाऊ पारिवारिक
फ़िल्में बनाने में माहिर। इसी हाऊस से आई थी - मैं भी लड़की हूं।
लड़की को अपने काले रंग के कारण समाज/मायके/पति आदि से बहुत कुछ
सुनने को मिला, तमाम ज़िल्लतें सहनी पड़ीं।
एक दिन जब सब बर्दाश्त के बाहर हो गया तो कृष्ण जी की मूर्ति
से समक्ष फट पड़ी। अपनी भावनाओं को गीत में बहा दिया।
राजेंद्र कृष्ण के लिखे गाने को चित्रगुप्त ने संगीत से संवारा
था और दर्द में डूबा स्वर लता जी का है। फिल्मांकन ट्रेजडी क्वीन मीना कुमारी जी पर
किया गया था।
कृष्णा, ओ काले कृष्णा
तूने ये क्या किया, कैसा बदला लिया
रंग दे के मुझे अपना...
पूजे सभी काले भगवान को
और ठुकराये सभी काले इंसान को
बंसी की धुन में मगन तू रहे
तुझको क्या, जुर्म जो कोई लाख करे...
सूरत तो काली छुपा न सकूं
कितना उजला है दिल ये दिखा न सकूं
क्यों न दी तूने दुनिया को अच्छी नज़र...
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12-09-2015 mob 7505663626
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