-वीर विनोद छाबड़ा
प्रख्यात चित्रकार, मूर्तिकार, आर्किटेक्ट और कवि माइकल एंजिलो इटली के रोम शहर में रहते थे।
माइकल एंजिलो जितने प्रसिद्द थे,
उससे कहीं ज्यादा उनसे डाह रखने वाले
भी थे।
ऐसे ही एक चित्रकार को गुस्सा आया। सरेआम उसने ऐलान किया - माइकल एंजिलो और उसके
चित्र मेरे चित्रों के समक्ष बेकार हैं। मैं उससे कहीं बेहतर चित्र बना सकता हूं।
उसने चित्र बनाना शुरू किया।
कई रोज़ की मेहनत के बाद चित्र तैयार हुआ। वाकई बहुत सुंदर चित्र था।
लेकिन चित्रकार संतुष्ट नहीं हो सका। उसे लगा कुछ कमी है, जिसकी वज़ह से यह चित्र
माइकल एंजिलो की किसी भी पेंटिंग के सामने ठहर नहीं पायेगा। लेकिन वो समझ नहीं पा रहा
था कि कमी है कहां और क्या है?
उसने अपने कई शुभचिंतकों से भी पूछा। लेकिन सब नाकाम रहे।
तब उसने उस चित्र को अपने घर के बाहर रख दिया, इस उम्मीद में कि शायद
कोई कला प्रेमी बता सके कि उसमें क्या कमी है?
एक दिन इतिफ़ाक़ से माइकल एंजिलो खुद उधर से गुज़रे। उनकी नज़र भी उस पेंटिंग पर पड़ी।
वो ठिठक गए।
उस चित्रकार ने माइकल एंजिलो को पूर्व में कभी नहीं देखा था। सोचा यह कोई कला प्रेमी
है। उसने पूछा - क्या आप मेरी सहायता कर सकते हैं? इस चित्र में कुछ कमी
है। लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं।
माइकल एंजिलो ने एक बार फिर ध्यान से चित्र को देखा। ब्रश निकाला और दोनों आंखों
में दो छोटी सी बिंदियां बना दीं।
बिंदियों के अंकित होते ही था कि चित्र सजीव हो उठा। बोलने लगा।
चित्रकार सन्न रह गया। एक छोटी सी भूल! इसे वो पहचान नहीं पाया। वाह क्या बात है?
चित्रकार ने अपने परिवार के सदस्यों को भी बुलाया। चित्र देख कर सबने यही कहा
- क्या खूब? अब माइकल एंजिलो हार गया समझो।
चित्रकार ने उस राहगीर से पूछा - ए मेरे अनजाने मित्र? आपके कारण मेरा यह
चित्र दुनिया का सर्वश्रेष्ठ चित्र हो गया है? अब माइकल एंजिलो को
मेरे सामने पानी भरना पड़ेगा। आप कौन हैं?
उस राहगीर ने बताया - मेरा नाम माइकल है, माइकल एंजिलो।
यह सुनते ही वो चित्रकार बहुत हैरान हुआ, और शर्मिंदा भी। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसके सामने जो
बंदा खड़ा है वो महान चित्रकार माइकल एंजिलो है।
चित्रकार ने माइकल एंजिलो के हाथों को चूम लिया। वो ख़ुशी से दीवाना हो गया - क्षमा
करें। मैं आपके बारे में कितना ग़लत सोचता था। लेकिन आप तो देवता निकले। आप तो बहुत
कुशल चित्रकार, सज्जन और नेक पुरुष हैं। कृपया मुझे अपना भक्त बना लीजिये। माइकल एंजिलो ने उसे
अपना मित्र बना लिया।
माइकल एंजिलो ०६ मार्च १४७५ इस दुनिया में आये थे और १८ फरवरी १५६४ को परलोकवासी
हो गए।
सीख - अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है। उसे वैचारिक रूप से भी अंधा बना देता
है.
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