-वीर विनोद छाबड़ा
दृश्य - एक।
पत्नी - आप कब आये?
पति - कोई घंटा भर
हो गया।
पत्नी - तो बताया क्यों
नहीं?
पति - अरे मैंने स्कूटर
रखा। मुंह-हाथ धोया। टीवी ऑन किया। एक दोस्त की काल आई। कमरे में नेट ठीक नहीं था।
बाहर निकल ज़ोर-ज़ोर से बातें की। चंदा लेने वालों की क्लास ली। इतना होने के बाद भी
तुम्हें पता नहीं चला कि मैं घर आ गया हूं? ज़रा टीवी का वाल्यूम
कम रखा करो।
पत्नी - टीवी तो कबका
बंद है।
पति - क्यों झूठ बोलती
हो। अभी-अभी तो बंद किया है।
पत्नी - अच्छा-अच्छा।
ठीक है। चाय ठंडी हो गयी। फिर गर्म करनी होगी। मुझे बाजार जाना है। दाल-चावल लाने।
आपको तो कोई मतलब है नहीं।
पति - अच्छा बाबा।
आइंदा से घर में घुसते ही पहले तुम्हें नमस्ते करूंगा। एक सांस में इतनी लंबी बात करने
से क्या फ़ायदा? अपना भी ब्लड प्रेशर बढ़ाओ और मेरा भी।
पत्नी - लंबी बात कौन
कर रहा है? मैं या आप?
पति - अच्छा बाबा,
माफ़ करो। तुमसे तो बात करना ही फ़िज़ूल है।
पत्नी - यह लो चाय।
ध्यान से पीना। गर्म है बहुत। बिस्कुट खुद निकाल लेना। मैं जा रही हूं मुंशीपुलिया।
और हां देखो, कोई चंदा मांगने आये तो देना नहीं। आजकल रावण फूंकने के नाम
पर जाने कहां-कहां से आ जाते हैं चंदा लेने वाले। पैसे मुफ़्त में पेड़ पर उगते हैं जैसे।
पति - अरे भई,
मैं कहां देता हूं? बताया न, अभी थोड़ी देर पहले ही चंदा लेने वालों को
भगाया है।
पत्नी - मालूम है,
मालूम है। दिल तुम्हारा बहुत बड़ा है। कभी पांच सौ, तो कभी हज़ार लुटाया
करते हो शादी-ब्याह में।
पति - शादी-ब्याह में
दिया जाने वाला रुपया चंदा नहीं होता। अब जाओ बाज़ार। कल्लू की दुकान बंद हो जायेगी।
पत्नी - जा तो रही
हूं। और हां दाल चढाई हुई है। दो सीटी बजने के बाद गैस बंद कर देना। टीवी देखते-देखते
सो न जाना। एक बार कुकर फट चुका है।
पति - उसमें मेरी गलती
नहीं थी। तुमने बताया ही कहां था?
पत्नी - अच्छा ठीक
है, ठीक है। दस साल पुरानी बात अब याद आ रही है। जा रही हूं। दरवाज़ा अच्छी तरह बंद
कर लेना।
पति - शुक्र है,
गई।
दृश्य - दो।
पति - सुनो,
मैं आ गया हूं।
पत्नी - तो मैं क्या
करूं?
पति - अरे कल तुम्हीं
ने तो कहा था। घर आओ तो बताना चाहिए।
पत्नी - कहा था। लेकिन
इतनी ज़ोर से गाना गाने की क्या ज़रूरत है कि मोहल्ला भर सुने।
पति - ठीक है। आइंदा
नहीं बताऊंगा। दरवाज़ा खटखटा दिया करूंगा।
पत्नी - अजीब आदमी
हो। अपने घर आने पर कोई दरवाज़ा खटखटा है भला? मेहमान हो क्या?
यह लो चाय। ठंडी लगे तो अपने आप गर्म कर लेना। बिस्कुट अपने आप निकाल लेना। मैं
जा रही हूं मुंशीपुलिया। दाल चावल लेना है। पेंट वाले ताहिर का पैसा देना और मुजाहिद
से बात करनी है कि लोहे का जाल कब तक बना कर देगा। बंदरों ने तंग कर रखा है। और हां
वो दाल चढ़ा.…
पति - हां हां,
मालूम है। दो सीटी बजे तो कुकर बंद कर देना। अब जाओ भी।
दृश्य - तीन
पत्नी - अरे आप कब
आये?
पति - आने का सवाल
ही नहीं पैदा होता। मैं तो कहीं गया ही नहीं।
पत्नी - अरे तो बताना
चाहिये न। मैं समझी अपने निठल्ले दोस्तों से मिलने चले गए हो।
पति - निठल्ले से क्या
मतलब?
पत्नी - अरे सुबह फ़ोन
पर बात कर रहे थे न कि पुस्तक मेले में जाना है।
पति - पुस्तक मेले
में जाना निठल्लापन है क्या?
पत्नी - और नहीं तो
क्या? आजकल पुस्तक पढ़ने का टाईम किसके पास है? निठल्लों के पास ही
तो है न?
पति - छोड़ो। तुमसे
बात करना ही बेकार है।
पत्नी - हां,
बेकार तो मैं हूं। आप सब कामकाजी। अच्छा मैं ज़रा बाजार जा रही हूं.…
पति - हां हां,
मालूम है। दाल चढ़ी है। दो सीटी बजे तो गैस बंद कर देना।
पत्नी - नहीं। दाल
साफ़ करके और अच्छी तरह धोकर कर चढ़ा देना।
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22-11-2015 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016
bahut mazedaar, pdhte wakt kai bar hansi aayi
ReplyDeletebahut mazedaar, pdhte wakt kai bar hansi aayi
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