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वीर विनोद छाबड़ा
उस बंदे का बिजली का बिल बहुत ज्यादा आ गया.
बंदे का दावा था कि पिछले महीने और उससे भी कई महीने पीछे इतना बिल कभी नहीं आया.
दो अदद प्राणियों का घर है. राष्ट्रहित में बिजली बचाओ, उसके लिए जुमला भर
नहीं है. एक समय में एक ही बल्ब जलता है, एक ही फ्रिज है और एक अदद एयरकंडीशन.
बंदा बिजली के एक दफ्तर से दूसरे दफ़्तर चक्कर काटता रहा कई दिन तक. नक्कार खाने
में तूती की तरह बजता रहा.
एक ने कहा, पहले बिल जमा कर दो, फिर देखेंगे. कुछ ने फिफ्टी-फिफ्टी का फार्मूला समझाया.
लेकिन बंदे ने हिम्मत नहीं हारी. सबसे बड़े अधिकारी के पास पहुंच गया.
अधिकारी ने बंदे की विपदा सुनी. संबंधित अधिकारी को फोन लगाया कि फलां बंदे को
भेज रहा हूं, देख लेना.
लेकिन उस अधीनस्थ अधिकारी ने मदद करने की बजाये बिल और भी बढ़ा-चढ़ा दिया. बीस का
पचास हज़ार कर दिया.
दुखी बंदा हाई ब्लॅड प्रेशर के साथ फिर उसी बड़े अधिकारी के पास पहुंचा.
बड़े अधिकारी बहुत सयाने थे. घाट घाट का पानी पिया हुआ था. उन्होंने बंदे आश्वासन
दिया कि अन्याय नहीं नहीं होगा. संबंधित अधिकारी को फोन लगाया - चपरासी भेज रहा हूं.
अपने पास से बिल जमा कर दो और रसीद भिजवा दो. पेमेंट शाम को मुझसे ले लेना.
थोड़ी ही देर में चपरासी लौटा. उसके हाथ में २३५५ रूपए की रसीद थी.
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11-09-2016 mob 7505663626
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