Sunday, September 25, 2016

तू जिए हज़ारों साल

- वीर विनोद छाबड़ा
अपने परिजन का हालचाल जानने हम अस्पताल गए। आज वहां कुछ दूसरी ही किस्म की हलचल थी। स्टाफ के चेहरे पर ख़ुशी थी। एक वृद्धा मरीजा का जन्मदिन था। उस बेचारी को मालूम ही नहीं था। वो न बोल पाती थी और सुन सकती थी। शायद समझ भी नहीं पा रही थी। इसीलिए चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। हमें मालूम नहीं कि क्या बीमारी है इसे। सूख कर कांटा हो चुकी थी। कुर्सी पर बैठी हिल रही थी। उसे बार बार सहारा दिया जा रहा था। दो केक रखे थे सामने। एक पर लिखा था - लव मम्मी। उसके बच्चों ने भेजा था। वो बाहर थे कहीं। दूसरा पति की तरफ से था। वो पास ही खड़ा था। भनभना रहा था कि केक पर कुछ लिखा ही नहीं है।

वृद्धा मरीजा की शारीरिक अवस्था बता रही थी कि शायद यह अंतिम जन्म दिन है उसका। हमने उसके पति को बधाई देते हुए पूछा कि क्या मैं तस्वीर ले सकता हूं?
उसने हमें घूर कर देखा। क्या आप मुझे जानते हैं?
हमने कहा - नहीं। इस अच्छे पल को शेयर करना चाहता हूं।
उसने बहुत सूखे और अशिष्ट स्वर में कहा - कोई ज़रूरत नहीं है?
हमें उसके व्यवहार पर दुःख हुआ और आश्चर्य भी। कैसा पति है जो अपनी पत्नी के अंतिम हैप्पी बर्थडे की ख़ुशी को किसी अजनबी से शेयर करना क्यों नहीं चाहता? हमारे तो बड़े बुज़ुर्ग यही कहा करते थे कि ख़ुशी शेयर करने से बढ़ती है।

फिर हमने सोचा, होते हैं कुछ लोग शुष्क और रूढ़िवादी किस्म के, जो अपनी ख़ुशी और और अपना दुःख अजनबियों से शेयर करना नहीं चाहते। लेकिन हम अपना फ़र्ज़ नहीं भूले। मन ही मन नतमस्तक होकर हमने उस वृद्धा के शीघ्र स्वस्थ होने और लंबी उम्र की दुआ की।
सहसा हम कुछ असहज से हो गए। हमने अपने परिजन से जाने की आज्ञा ली और बाहर आ गए। सोचने लगे, असली दुनिया से कहीं बेहतर तो आभासी दुनिया है। न जान, न पहचान, न हिंदू, न मुसलमान और न सिख और न ईसाई। सब एक-दूसरे को पहला मौका मिलते ही पहला काम करते हैं - बार बार दिन ये आये, बार बार दिल ये गाये, तू जिये हज़ारों साल, है मेरी ये आरज़ू कि हैप्पी बर्थडे टू यू...तू जिए हज़ारों साल...

और मज़े की बात देखिये कि अगले ही पल थैंक्य, धन्यवाद, शुक्रिया, मेहरबानी जी... मानों उधर बंदा जवाब देने के लिए तैयार ही बैठा होता है। 
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25-06-2016 mob 7505663626
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Lucknow - 226016

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