Wednesday, September 14, 2016

जब ओमप्रकाश ने बनाई मधुबाला के लिए फ़िल्म

-वीर विनोद छाबड़ा 
हिंदी सिनेमा में एक कॉमेडियन हुए हैं, जिनकी मौजूदगी से सेट गुलज़ार रहा करता था। चारों तरफ हलचल रहती थी। कहकहे गूंजा करते थे। इनका नाम था -ओमप्रकाश बक्शी। लेकिन परदे की दुनिया वो ओमप्रकाश के नाम से मशहूर थे। उनकी टाईमिंग ग़ज़ब की थी। बिंदास और नेचुरल एक्टिंग। उनकी हाज़िर-जवाबी से ऐसा लगता था कि उनके संवाद लिखे नहीं जाते थे। सिर्फ सीन बताया जाता था और क्या बोलना है, और कैसी प्रतिक्रिया देनी है इसका फैसला ओमप्रकाश ही छोड़ दिया जाता था।
'गोपी' और 'सगीना' में उन्होंने अपने बेस्ट फ्रेंड दिलीप कुमार को कई दृश्यों में बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया था। उन्होंने ३०७ फिल्मों में काम किया था। उन्होंने फ़िल्में भी प्रोड्यूस की थीं। कन्हैया (नूतन-राजकपूर), संजोग (प्रदीप कुमार-अनीता गुहा) और जहांआरा (भारत भूषण-माला सिन्हा) तो बहुत ही मशहूर हुईं थीं। चाचा ज़िंदाबाद (किशोर कुमार-अनीता गुहा) और गेट वे ऑफ़ इंडिया (मधुबाला-भारत भूषण-प्रदीप कुमार) तो लिखी और डायरेक्ट भी कीं।
यों तो ओमप्रकाश की ज़िंदगी से जुड़े अनेक दिलचस्प किस्से हैं, लेकिन मधुबाला से जुड़ा एक रोचक किस्सा बहुत मशहूर हुआ था।
हुआ यों कि एक दिन ओम प्रकाश के दिमाग में एक फन्नी आईडिया आया। एक रात की कहानी है। नायिका घर से भागी हुई है। पर्स में लाखों के ज़ेवरात हैं। तमाम शातिर लुटेरे और सफ़ेदपोश लूटने के लिये तैयार हैं। जैसे-तैसे वो इनसे जान बचाती हुई सही जगह पहुंचती है।

जिस वक़्त यह आईडिया ओम प्रकाश के दिमाग में जन्म ले रहा था, उसी समय नायिका के रूप में वो सिर्फ मधुबाला को ही विजुलाइज़ कर रहे थे। लेकिन मधुबाला तक पहुंचाना कोई आसान काम नहीं था। मधु से मिलने से पहले गेट पर खड़े एक बहुत बड़े विलेन से मिलना पड़ता था। यह विलेन मधु के अब्बा हुज़ूर अताउल्लाह खान होते थे।
अगले रोज़ ओमप्रकाश ने अताउल्लाह को तफ़सील बताई। और पूछा कि फीस कितनी होगी? और बाकी तमाम शर्तों के बारे में भी बात की। अताउल्लाह ने दो टूक कहा  - फीस की तो बात ही मत करो। पहली शर्त तो यह है कि मधु सेट पर सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक ही उपलब्ध रहेगी।
लेकिन ओमप्रकाश को तो मधु की ज़रूरत रात के वक़्त थी। अताउल्लाह टस से मस नहीं हुआ। ओमप्रकाश ने बहुत चिरौरी की। समझाया कि फ़िल्म के  सारे किरदार हीरोईन के इर्द-गिर्द घूमते हैं। मधु के कैरियर की शानदार फ़िल्म साबित होगी। मधु की किसी किस्म की तकलीफ़ भी नहीं होगी। चूंकि शूटिंग गेटवे ऑफ़ इंडिया के इर्द-गिर्द होनी है, इसलिए आराम फ़रमाने के लिए ताज होटल में सबसे उम्दा सुईट बुक करा देने का वादा किया।
लेकिन अताउल्ला टस से मस नहीं हुए। ओमप्रकाश अब तक बहुत शरीफ़ाना लहज़े में बात कर रहे थे। जब बात बनी नहीं तो उन्होंने उंगली टेड़ी की - मैं मधु से मिलना चाहता हूं। 
अताउल्लाह ने सख्त लहज़े में कहा - मधु किसी सूरत में नहीं मिल सकती। आप जल्दी से चाय-नाश्ता ख़त्म करें और यहां से दफ़ा हो जायें।
लेकिन ओमप्रकाश भी परले दरजे के ज़िद्दी। ठान कर आये थे कि मिल कर ही जाऊंगा, चाहे सारी रात इंतज़ार करना पड़े। अगर मधु को कहानी पसंद नहीं होगी तो चुपचाप यहां से खसक लूंगा। और अपने आईडिया को किसी गटर में फ़ेंक दूंगा।

यह कहते हुए और ओमप्रकाश ज़मीन पर पालथी मार कर बैठ गए। अताउल्लाह खान को ओमप्रकाश का यों पसड़ जाना बहुत ख़राब लगा। उन्होंने दरबान से बाहर फिकवाने की बार-बार धमकी। मगर ओमप्रकाश पर कोई असर नहीं पड़ा - जान दे दूंगा, लेकिन मधु से मिले बिना नहीं जाऊंगा।
यह बहस अभी चल ही रही थी कि मधु कमरे में दाख़िल हुई। अताउल्लाह को सांप सूंघ गया। और वो चुपचाप कमरे से बाहर हो गए। ओमप्रकाश ने विजयी मुद्रा में मधु को कहानी सुनाई। और उनके किरदार की अहमियत को तफ़सील से बताया।
मधुबाला ने बड़े ध्यान से सब सुना। कुछ क्षण सोचा और फिर अपने अब्बा की तमाम दलीलों और फ़िक्र को ख़ारिज कर दिया। काम के लिए सिर्फ़ हामी ही नहीं भरी अपनी मेहनताने की रक़म में भी भारी कम कर दी।
अताउल्लाह को यह सब पसंद नहीं आया। लेकिन कुछ बोले नहीं। उनके दिमाग का शैतान कह रहा था कि इससे पहले कि कमाऊ बेटी बग़ावत करे, बेहतर है कि उसकी छोटी ज़िद मान कर इसे दबा दिया जाये। 
और आख़िरकार ओमप्रकाश के इस आईडिया पर फिल्म बनी जिसका नाम था - गेट वे ऑफ इंडिया। यह कोई बड़ी कामयाबी साबित नहीं हुई। ज़ाहिर है इससे सबसे ज्यादा ख़ुशी अताउल्लाह को ही हुई - मैं न कहता था कि बकवास आईडिया है। लेकिन एक रात की कहानी पर बनने वाली फिल्मों में यह फिल्म 'जागते रहो' के बाद यह दूसरी लैंडमार्क फिल्म थी।
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Published in Navodaya Times dated 14 Sept 2016
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2 comments:

  1. बहुत सुन्दर। सब इच्छाओं व संकल्पों का नतीजा। सफलता-असफलता तो बाद की बात मगर आगे बढने के लिए कोशिश व पहल सबसे जरूरी और इस फिल्म के माध्यम से आपने यह जताया।

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  2. बहुत बढ़िया सर

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