Friday, January 15, 2016

और न जाने क्या क्या खुलासे हो जायें!

- वीर विनोद छाबड़ा
हमारे एक सहकर्मी होते थे पवन जी। बहुत अच्छे और निश्छल स्वभाव के। उनका चेहरा इंतना हंसमुख था कि वो उदास भी होते थे तो पता नहीं चलता था।
एक दिन हमें उनकी मुस्कराहट में मछली की गंध महसूस हुई। क्या ग़म है, जो तुम मुस्कुरा रहे हो?

पवन जी एक कोने में ले गए- क्या बताऊं दोस्त कल एक भूल कर बैठा। वो श्रीमतीहैं न।
हम डर गए - हां, हां। क्या हुआ उन्हें?
पवन जी झल्ला गए - यार, पूरी बात सुन लिया करो। उसे कुछ नहीं हुआ। चंगी भली है, मस्त। उसकी वज़ह से शामत आई हुई है मेरी।
अब हमें पवन जी के चेहरे पर हवाईयां साफ़-साफ़ उड़ती दिखने लगीं  - वो कैसे?
पवन जी ने याद दिलाया - वो हफ्ता भर पहले चोपड़ा की पार्टी में तुमने तो देखा था कि श्रीमतीबहुत सज-धज कर आई हुई थीं। इधर से उधर उड़ती-डोलती फिर रहीं थीं, अपनी सहेलियों के संग। बाई-गॉड छत्तीस की होने के बावज़ूद स्वीट सिक्सटीन दिख रही थी। हसबैंड बेचारा एक कोने में बैठा बच्चों को आइसक्रीम खिला रहा था।
हम हैरान हुए - यार इसमें कौन बड़ी बात थी? ऐसा तो हमेशा होता है। पार्टियों में होता है, सब खूब लाली-लिपिस्टक और पॉवडर पोत कर आती हैं। अबे तेरी मेमसाब भी तो हूर बनी हुई थी और तू बच्चे को टहला रहा था। और हमारी वाली भी.… 
पवन फिर झल्लाया - यार यही ख़राब आदत है तुम्हारी। बात पूरी नहीं होने देता।
हमने कहा - ठीक, ठीक है। अब नहीं बोलूंगा। इधर उधर टहलाओ नहीं। पॉइंट पर आओ।
पवन जी ने बात आगे बढ़ाई - हां, तो मैं कह रहा था कि श्रीमतीइतनी अच्छी लग रहीं थीं कि मेरे मुंह से निकल गया कि बिलकुल पद्मिनी कोल्हापुरे लग रही है।
हमने कहा - अमां ठीक ही तो कहा। चेहरा-मोहरा भी मिलता-जुलता भी है।
पवन जी ने मेरा कंधा जोर से पकड़ लिया - मेरे दोस्त, यही तो ग़लती हो गयी। मेमसाब ने मुंह बिचका लिया।

हमने कहा - ठीक किया उसने। पत्नी के सामने दूसरी की तारीफ़ करोगे और फिर वो भी किसी हीरोइन से तुलना करोगे तो किस पत्नी को अच्छा लगेगा? पवन ने मेरे कांधे पर सर रख दिया - हमने सॉरी भी बोल दिया। लेकिन गलती की सज़ा तो मिलनी ही थी। हफ्ता हो गया है। सुबह मूंग की दाल और शाम को लौकी बन रही है। और साथ में ताने अलग से सुनने को मिल रहे हैं - ऑफिस में यही करते हो तुम लोग। और कितनी हीरोइनें तुम्हारे ऑफिस में। 
हमने पवन का कंधा थपथपाया - सब ठीक हो जायेगा दोस्त। और हां, एक काम निकल आया है तो तुम्हारे घर कल का हमारा विज़िट कैंसिल।
हम मन ही मन बड़बड़ाते हुए तेज़ी से निकल लिए -  न जाने और क्या क्या खुलासे हो जायें। अपनी वाली भी तो कोई कम नहीं।
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15-01-2016 mob 7505663626
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Lucknow - 226016

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