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वीर विनोद छाबड़ा
कल सुबह चार बजे मूसलाधार बारिश हुई तेज हवाओं के साथ। बादल भी जोर से गरजे और
बिजली भी कड़की। ऐसे माहौल में बिजली न जाए, यह संभव नहीं। सुबह दस के आस पास लौटी। बिजली नहीं तो पानी नहीं।
गुज़री रात भी बिजली ने परेशान किया था। पानी नहीं मिला था। नतीजा टैंकी खाली। टॉयलेट
के एसी से टपकते पानी से भरे ड्रम का इस्तेमाल किया। शुद्ध पानी की एक बॉल्टी है। तीन
लोग नहाने वाले। हम चार की जगह दो लोटे पानी से नहाये, आधे अधूरे से।
तैयार हुए। देखा एयरटेल का इंटरनेट गायब। फौरन शिक़ायत दर्ज कराई। आश्वासन मिला
शाम चार बजे तक ठीक हो जाएगी। तभी बेटी ने बताया कि उसके कमरे के एसी का स्टैबलाइजर
नहीं चल रहा। अभी महीना भर पहले ही तो बदलवाया था। शिकायत दर्ज करा दी। इधर मेमसाब
का मूड भी जाने क्यूं ख़राब था। गुज़री शाम तो
राजमां का मीनू बन रहा था। अब सब्ज़ी वाले से लौकी के बारे में पूछ रही थीं।
हम बैंक निकल लिए, टीडीएस सर्टिफिकेट के लिए। मैडम सर पर हाथ रख कर बैठी थीं। सुबह से ही सरवर ही
डाउन है। हम एटीएम मशीन की तरफ चल दिए। कार्ड डाला। लिख कर आ गया - नॉट वैलिड, कॉन्टैक्ट यूअर बैंक।
लगातार चौथा दिन है। हम संबंधित बैंक गए। मैडम ने मशीन पर कुछ लिखा-पढ़ी की। शिकायत
दर्ज करा दी है। आप कल फिर चेक लें,
प्लीज़। प्लीज़ में इतनी मिठास थी कि आगे कुछ कहते ही नहीं बना।
वापसी पर एक मिल्क बूथ पर रुके। दही चाहिए। बाऊजी, दही, मठ्ठा, पेड़ा सब ख़त्म। कैमिस्ट के पास गए। अभी आपकी दवा नहीं आई है। शाम को देख लें।
घर लौटे। इंटरनेट अभी तक आउट ऑफ ऑर्डर। फिर हेल्पलाईन लगाई। तीन बजने को हैं, अभी तक किसी बंदे ने
विज़िट नहीं किया। जैसे तैसे शाम पांच बजे को एक बंदा आया। इधर से उधर चेक किया। लाईन
में फॉल्ट है जी। लाईन वालों को बता दिया रहै। एक-डेढ़ घंटे में पक्का सही हो जाएगा।
शाम गहरी होने लगी। हम अपने घर के आप-पास के ढाई किलोमीटर एरिया की सघन जांच कर
आए। एयरटेल का कोई बंदा नहीं मिला काम करता हुआ। हमने फिर शिकायत की। बताया गया कि
काम चल रहा है। सुबह दस बजे तक सब ठीक हो जाएगा।
टीवी ऑन किया कि बत्ती ही चली गई। इंवर्टर सीटी बजाने लगा। बत्ती दस मिनट आती है
और घंटा भर गायब रहती है। इंवर्टर घंटा चार्ज होगा? यह शुक्र करो कि दो
अदद ईएफएल और पंखे चल रहे हैं।
दिल हल्का करने के लिए मित्र राजन को फोन किया। उसने न्यौता - आजा मेरे कोल, इक कप चा पीजा।