Thursday, June 2, 2016

अब मूंग की दाल भी ख़ुशी ख़ुशी खाते हैं।

- वीर विनोद छाबड़ा 
हमारे शहर में अरहर १७५ रूपए पर किलो है। उसके साथ उड़ान भर रही है उड़द १६५ पर। इसीलिए मेमसाब का ज्यादा ज़ोर मूंग की दाल पर होता है।
Moong ki Daal
दो राय नहीं कि मूंग की दाल कई प्रकार से सेहत के लिए अच्छी होती है। एक ज़माना था कि मूंग की दाल हमारे घर में आये दिन बना करती थी। लेकिन अरहर की दाल ने मूंग की दाल को रसोई से लगभग बाहर कर दिया। जब कभी बनी तो बेवज़ह नहीं। हम घबड़ा जाते थे कि ज़रूर किसी न किसी की तबियत ख़राब होगी।
लेकिन इधर जब से अरहर की दाल आसमान छूने लगी तो मूंग की दाल किचन की रानी बन गयी। आये दिन परोसी जाने लगी। मगर मुंह का जायका मुआं ऐसा बिगड़ चुका है कि बिन अरहर के माने न।
लेकिन, मेमसाब से कौन टकराये? वो तो साफ़ कह देती हैं, अरहर की दाल खानी है तो अखिलेश से बात करो या मोदी से। लेकिन जहां चाह, वहां राह। हमने भी मूंग की दाल को टेस्टी बनाने का तरीका खोज निकाला। हमारे घर में गुड़ और साबुत लाल मिर्च वाली टमाटर की चटनी अक्सर थाली में मौजद होती है। हम उसे मूंग की दाल में मिला देते हैं। अगर यह चटनी न मिली तो मैगी या किसान की टमाटो सॉस या कैचअप काम आती है।

यों पुरखों का एक नुस्खा भी है। चौथाई प्याज को बारीक़ काट कर दाल में मिलाया और ऊपर से एक टमाटर निचोड़ दिया। कई बार बची हुई दाल को मेमसाब अगले दिन आटे में गूंध देती हैं। इसकी पूड़ी हो या रोटी, भाई हमें तो भरपूर स्वाद मिलता है। आप की आप जानें।

फिर जीना भी तो इसी का नाम है।
---
02-06-2016 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016

No comments:

Post a Comment