Friday, July 22, 2016

बिल्लू मास्टर।

- वीर विनोद छाबड़ा
बिल्लू बारबार हेयर कटिंग सलून पर उस दिन बहुत भीड़ थी। खास तौर पर बच्चों में बहुत उत्साह था। लेटेस्ट कटिंग की सबको चाह थी। संडे का दिन था और ईद आने वाली थी। कौन किसके साथ है, पता ही नहीं चल रहा था।
एक हैंडसम आदमी ने बाल कटवाए। शेव भी बनवाई और बाल भी डाई करवाए। फिर उसने एक दस साल के बच्चे को सीट पर बैठा दिया - बिल्लू मास्टर, ज़रा बढ़िया सा, लेटेस्ट स्टाईल। अपना ही बच्चा है। मैं अभी कीमा बनवा कर थोड़ी देर में लौटता हूं।
बिल्लू मास्टर ने सर हिला दिया। बढ़िया कटिंग की और पॉवडर-क्रीम भी लगा दिया। सोचा इसका बाप मोटा ग्राहक है। पैसा भी बढ़िया देगा। उसने बच्चे को बेंच पर बैठा दिया - अभी तुम्हारे अब्बू आते ही होंगे।
बच्चे ने कहा - लेकिन, मेरे अब्बू यहां हैं ही नहीं। वो तो दिल्ली में हैं।
बिल्लू मास्टर ने इत्मीनान से कहा - कोई बात नहीं। फिर वो चाचू होंगे। जल्दी आते होंगे।
बच्चा हैरान हुआ - लेकिन मेरे तो कोई चाचू भी नहीं हैं।
बिल्लू मास्टर आशावादी थे - फिर वो पड़ोसी होंगे। बता गए हैं कीमा लेकर लौटता हूं। 
बच्चा नाराज़ हुआ - मैं यहां अकेला आया हूं। मुझे जल्दी जाना है। कितना पैसा हुआ?

बिल्लू मास्टर के पैरों तले से ज़मीन खिसक गई - तो वो कौन था, जिसने तुम्हें यहां कुर्सी पर बैठाया और मुझे कह कर गए हैं कि....
बच्चे ने कहा - मैं क्या जानूं? मैं तो अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था। उसने कहा कि बिल्लू मास्टर जान-पहचान का है। तुम्हारी कटिंग जल्दी करा देता हूं।
यह सुनते ही बिल्लू मास्टर को गश आ गया।

नोट - यह एक लेटेस्ट जोक पर आधारित है। 
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