Sunday, November 13, 2016

आई एम बंता सिंह फ्रॉम पंजाब

-वीर विनोद छाबड़ा
ताज़ा ख़बर।
मंगल ग्रह पर खारे पानी के होने के पुख्ता सबूत मिले हैं।
हमारे यायावर किस्म के एक परम मित्र हैं। जब कभी इस किस्म की ख़बर पढ़ते हैं तो उतावले हो जाते हैं। वास्कोडिगामा, कोलंबस, कैप्टेन कुक और हुआन चांग जैसे महान खोजी यायावरों का बेताल उन पर चिपक जाता है।
उस दिन भी ऐसा ही हुआ। इस ख़बर पर उनकी प्रतिक्रिया जानने उनके पहुंचा।

उत्साहित होकर वो बोले - तो क्या हुआ? पानी खारा है को क्या हुआ? हम कोई पीछे तो हैं नहीं। शोधक यंत्रों की हमारे यहां भरमार है। अलावा इसके ऐसे मंत्र भी हैं कि चुटकी बजाते ही मिट्टी को सोना बना डालें और नकली को असली। बस चलने की तैयारी करो।
हमने उनको बहुत समझाया कि अभी मंगल तक जाना संभव नहीं है। खोज-बीन जारी है। और फिर कई महीने लगते हैं वहां पहुंचने में। अभी यात्रिक हवाई जहाज़ भी नहीं बना है।
वो बोले - कोई बात नहीं। समुद्री जहाज़ पर चलेंगे।
बहुत समझाया तो माने लेकिन इस शर्त पर कि बुकिंग करा लो। पहले यात्री हम ही होंगे।
बमुश्किल उनसे पिंड छुड़ा कर हम घर लौट रहे थे। ऐसे में हमें कोई ४६ साल पहले की घटना याद हो आई।
उस दिन पृथ्वी का पहला बंदा नील आर्मस्ट्रांग चांद पर उतरा था। अमरीकी इतराते हुए फूल कर कुप्पा हुए जा रहे थे।
दूसरे दिन टाइम्स ऑफ़ इंडिया में आरके लक्ष्मण का कार्टून छपा।
कार्टून कुछ यूं था।
आर्मस्ट्रांग चांद पर उतर कर चहलकदमी कर रहा है। अचानक उसे ज़बरदस्त सदमा लगा।
सामने एक ढाबा दिखा। ऊपर एक बोर्ड लगा था - पप्पू दा ढाबा। और उसमें पति-पत्नी और उनका छोटा सा बेटा बैठे थे।
आर्मस्ट्रांग ने हैरत से पूछा - तू कौन और यहां कब आया?
वो बोला - जी, आई एम बंता सिंह फ्रॉम पंजाब। और हम यहां 'पार्टीशन' के बाद आये हैं। दिस माई वोटी सतवंत एंड माई सन पप्पू।
दरअसल, १९४७ में जब भारत का विभाजन हुआ था तो रोज़ी रोटी की तलाश में पंजाबी शरणार्थी सारी दुनिया में फैल गए थे।

आर्मस्ट्रांग को चांद पर देख लक्ष्मण की कल्पना के पंख अपने को यह सोचने से रोक नहीं पाये कि विभाजन के फलस्वरूप कोई न कोई पंजाबी चांद पर ज़रूर पहुंचा होगा। ये अमरीकी ख़ामख़्वाह इतरा रहे हैं।

नोट - हमारे यायावरी मित्र बहुत ज़िद्दी हैं। हमें पक्का यक़ीन है कि वो एक ऐसा विशेष यान बनवायेंगे जिसके द्वारा छह महीने की जगह छह घंटे में मंगल पर पहुंच जायेंगे। दुनिया को हतप्रद कर देंगे। मंगल की धरती पर क़दम रखने वाले पहले यात्री। लेकिन हमें आशंका है कि हमारे महान और खोजी यायावर मित्र जब मंगल पर पहुंचें तो उनकी भी भेंट वहां पहले से मौजूद किसी 'पप्पू दा ढाबा' के मालिक बंता सिंह से न हो जाये।
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