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वीर विनोद छाबड़ा
अभी तक की खोज यही बताती है कि क्रिकेट का जनक इंग्लैंड ही है। इतिहास बताता है
कि इंग्लिश समाज की जितनी दिलचस्पी पुरुष क्रिकेट के प्रति थी उतनी ही महिला क्रिकेट
में भी थी। महिला क्रिकेट के शुरूआती मैचों के स्कोर कार्ड और उनके द्वारा सृजित रेकार्डाें
को संभाल कर नहीं रखा। कारण पुरुष का अहंकारी स्वभाव। अखबारों में महिला क्रिकेट को
तरजीह तक नहीं दी।
तत्कालीन इंग्लिश समाज में भले ही स्त्री स्वतंत्र विचरण करती दिखती थी,
परंतु जब-जब कौशल और कला में महिला की भागीदारी की चर्चा चली
तो भद्रपुरुष ने महिला को भोग और विलास की वस्तु करार दिया। अपनी दुम ऊंची रखी। महिला
क्रिकेट को हेय दृष्टि से देखा। उनका तर्क था कि क्रिकेट महिलाओं के लिए बना ही नहीं
है। इसमें रण कौशल बनाने हेतु जिस दिमाग की जरूरत है वो महिला में नहीं है। और जिस्मानी
नज़रिए से भी क्रिकेट उनके लिए नहीं है। मगर यह दोगले भद्रपुरूष महिलाओं को जब-जब खेलते
हुए देखते तो इनकी लार टपकने लगती।
मगर सच को कितना छिपाओगे? एक साल दो साल या सौ साल? महिलाओं की लंबी लड़ाई रंग लायी। महिला क्रिकेट खबर बन ही गयी। यह श्रेय मिला सबसे
पहले ‘रीडिंग
मरक्यूरी’
के 26 जुलाई के अंक को। इसमें ‘ब्राह्मले इलेवन’
और ‘हेमलटन इलेवन’
के मध्य किसी बडे़ मैच का ज़िक्र था। इसमें कहा गया था कि महिलाओं
ने पुरुषों की भांति ही शानदार गेंदबाजी, बल्लेबाज़ी और फील्डिंग की। ब्राह्मले इलेवन की महिलाओं ने नीले रिबन और हेमल्टन
की महिलाओं ने लाल रिबन बांध रखे थे। सफेद पोषाक में सभी बलां की खूबसूरत दिख रही थीं।
इसे देखने के लिये हज़ारों की तादाद में महिलायें और पुरुष जमा हुए।
इसके बाद उसी साल लंदन का सम्मानित आर्टिलरी ग्राउंड महिला क्रिकेट के लिये खोल
दिया गया। इससे पहले महिलाओं के वहां खेलने पर सख्त पाबंदी थी। यहां तक कि उन्हें अपने
असली नाम से खेलने तक की मनाही थी।
उन दिनों महिला क्रिकेट गावों में खेला जाता था। इनमें खूब शर्तें लगती थी और हुड़दंग
भी होता। पुरुष बड़े भद्दे तरीके से पेश आते। इस कारण कुलीन महिला समाज इस खेल को अपनाने
से डरता था। यह बात अलग थी कि उन्हें भी मजा खूब आता था। वो घर के लान या आंगन या पिछवाड़े
गली में चोरी-छिपे क्रिकेट खेलती थीं। 1777 में मार्निंग पोस्ट अखबार ने एक ऐसे ही चोरी-छिपे मैच का ब्यौरा प्रकाशित किया
तो हड़कंप मच गया। सभ्य परिवारों की एक और तस्वीर सामने आयी। परंतु हेय माने गये क्रिकेट
को कुलीन घरों की महिलाओं के खेलने की पाबंदी खत्म हो गयी।
बहरहाल यह मैच क्वीन को खुश करने के लिये डरबी की कांउटैस और लेडीज़ आफ़ क्वालिटी
एवं फैशन के मध्य खेला गया था। इसमें वूमैन आफ मैच का ईनाम एलिजाबेथ एन बर्टेन को दिया
गया था।
हेमिलटन के आठवें डयूक एलिजाबेथ एन बर्टेन पर ऐसे मर मिटे कि उससे फौरन ही शादी
कर ली। मगर बाद में यह दुखांत साबित हुई। डयूक ने ऐन के खेलने पर पाबंदी लगा दी। इससे
ऐन का दम घुटने लगा। फिर दोनों में तलाक हो गया।
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