Saturday, June 10, 2017

बाबा भारती, सुल्तान और खड़ग सिंह

- वीर विनोद छाबड़ा
बचपन में पढ़ी एक कहानी की धुंधली याद आ रही है। सुदर्शन जी की यह कहानी शायद पाठ्य क्रम का हिस्सा होती थी। आज की पीढ़ी ने शायद यह कहानी नहीं पढ़ी सुनी है।

एक थे बाबा भारती। बड़े दयालु और ज्ञानी। उनके पास एक सफ़ेद घोडा था। जान से भी ज्यादा प्यारा। उसका नाम था सुल्तान। हष्ट-पुष्ट, बलिष्ट और ऊंचा कद।  उसे देखते ही मन प्यार करने को हो जाए। सुल्तान की ख्याति दूर दूर तक फ़ैल गयी। खड्ग सिंह नाम के एक दुर्दाँद डाकू के कान तक भी यह बात पहुंची। उसने बाबा भारती तक संदेसा भिजवाया। आप ठहरे साधु-संत। घोड़े से आपका क्या काम? यह हम जैसों के अस्तबल की शोभा बढ़ाता है।
लेकिन बाबा ने साफ़ इंकार कर दिया। जान ले लो लेकिन सुल्तान नहीं। मैंने इसे बच्चों की तरह पाला है।
डाकू खड़ग सिंह को बाबा का इंकार अच्छा नहीं लगा। घोड़ा तो मैं लेकर दम लूंगा।

एक रात बाबा भारती सुल्तान की पीठ पर बैठे हुए कहीं से लौट रहे थे। देखा, बीच मार्ग में एक आदमी तड़प रहा है। बाबा भारती ने क़रीब जाकर उसे देखा।
वो आदमी ज़ख्मी था। उसने कहा - मेरी मदद कर दो। मुझे घोड़े पर बैठा कर किसी किसी वैद्य या हकीम के पास ले चलो।

दयालु बाबा भारती ने उसे घोड़े पर बैठा दिया और खुद घोड़े की लगाम पकड़ कर पैदल चलने लगे।
दो कदम चले ही थे कि वो ज़ख़्मी आदमी एकदम फुर्तीला हो गया। उसने घोड़े की लगाम अपने हाथ में ले ली।
बाबा को हैरानी हुई। उस आदमी को कुछ नहीं हुआ था। दरअसल ज़ख़्मी आदमी के भेष में वो डाकू खड़ग सिंह था।
बाबा भारती हैरान-परेशान अवाक् उसे देखने लगे।
खड़ग सिंह ने कहा - बाबा, अब यह घोड़ा मेरा हुआ। इसके बदले कुछ मांगना हो तो बताओ।
बाबा भारती ने कहा - ठीक है। यह तुम्हारा हुआ। बदले में एक वादा चाहता हूं
खड्ग सिंह ने कहा - एक नहीं सौ वादे करने के लिए तैयार हूं।
बाबा की आंखें डबडबा आईं -  किसी से यह न कहना कि तुमने मदद के नाम पर छल से घोड़ा हासिल किया है। वरना लोग एक दूसरे की मदद करना बंद कर देंगे। मदद पर से विश्वास टूट जाएगा।
बाबा की बात सुन कर खड्ग सिंह सोच में डूब गया। यह कैसा वादा है?
ग़म में डूबे बाबा भारती घर लौट आये। अगले दिन सुबह उन्हें घोड़े के हिनहिनाने की आवाज़ आई। पहले उन्होंने समझा कि यह उनका वहम है। सुल्तान को तो खड्ग सिंह ले गया है। लेकिन दुबारा हिनहिनाने की आवाज़ आई तो उन्हें हैरानी हुई। ये तो सुल्तान जैसी आवाज़ है। वो भागे भागे बाहर आये तो देखा उनका प्यारा घोड़ा सुल्तान द्वार पर खड़ा था। साथ में खड्ग सिंह भी था। उसने बाबा के पैर छुए। बाबा आपने मेरी आंखें खोल दीं।
बाबा भारती का डाकू खड्ग सिंह इतना अधिक प्रभाव पड़ा कि लूट-पाट करना छोड़ कर वो साधू बन गया। 

कुछ ऐसे ही हालात हैं आजकल। मदद की परिभाषा ही बदल रही है। मानवता के नाम पर घोषित अपराधी की भी मदद की जा रही है। क्लीन चिट मैनेज करके अपराधी बाहर आ रहे हैं। और मीडिया उसे महिमा मंडित कर रहा है। जनता-जनार्दन का न्याय पर से विश्वास उठ रहा है।
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11 June 2017
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