Sunday, June 11, 2017

बहस मत करो

- वीर विनोद छाबड़ा
वो सब्ज़ी वाला फेरी लगाता है। हमारी गली में रोज़ आता है। हरी-भरी ताज़ी सब्ज़ी होती हैं। हमें दूर मंडी से सब्ज़ी लाने की ज़हमत से बचाता है।
हमने कई बार आजमाया है कि मंडी के मुक़ाबले भाव भी सही हैं। किसी-किसी आईटम पर शक़ होता है कि तीन-चार परसेंट ज्यादा चार्ज कर रहा है। लेकिन हम इग्नोर करते हैं। सोचते हैं कि दो किलो दूर मंडी गए तो पेट्रोल फूंकेगा। एनर्जी और टाईम भी अलग वेस्ट होगा। सब्ज़ी खरीदते वक़्त ध्यान स्कूटी की तरफ रहता है। यह भी एक टेंशन है। और फिर मंडी वालों की तौल तो हमेशा ही संदिग्ध रही है।
हमें विश्वास है कि हमारा यह फेरी वाला गड़बड़ी नहीं करेगा। पिछले दस साल से आ रहा है। फिर भी हमारे एक मीन-मेख प्रेमी पड़ोसी चार-पांच दिन पर उसके तराज़ू की डंडी चेक कर लेते हैं।
हमारा यह फेरी वाला पहले जवान था। अब उम्र चेहरे पर दिखने लगी है। झुर्रियां आ गई हैं। इनमें बहता पसीना इसके अनथक मेहनत की कहानी बयां कर रहा है। कभी कभी छुट्टा नहीं होता। कोई बात नहीं। दस-पंद्रह रूपये की बात हुई तो अगले दिन एडजस्ट हो जाता है। नोटेबंदी के दौरान तो हमने उससे सौ रूपये तक उधार कर लिए। एक बार वो हमसे दो हज़ार का नोट ले गया। हम रोज़ाना उससे सब्ज़ी लेते रहे जब तक कि नोट एडजस्ट नहीं हो गया।

कल सुबह फेरी वाला पसड़ गया। हर सब्ज़ी एक-दो रुपए महंगी। शोर सुन कर गली की समस्त महिलायें बाहर आ गईं। महिला प्रेमी दो-तीन रिटायर बुढऊ भी निकल आये। फेरी वाला कह रहा था। सब्ज़ी क्यों न महंगी हो? पेट्रोल ढाई रुपए महंगा हो गया और डीज़ल भी। एयर कंडीशन में खाना महंगा हो गया। बाकी सब आईटम भी महंगे हो गए। जीएसटी भी लागू होने जा रहा है। जेटली जी की नज़र हम पर भी है। ऑनलाईन शॉपिंग पांच परसेंट महंगी हो गयी है। वहां हंगामा नहीं करोगे।
डंडी चेक करने वाले पड़ोसी चीखने लगे - अबे तू फेरी वाला है या शहंशाह अकबर।
फेरी वाला भी गुस्सा हो गया - हम भी इंसान हैं। दिल रखते हैं। क्या हमारे बच्चे क्रिकेट नहीं खेलते? आपके बच्चों की तरह वो भी पिछले महीने आईपीएल देखने कानपुर गए थे। बेटा कॉलेज जाता है और बेटी भी। उन्हें भी बाईक और स्कूटी चाहिए। पत्नी और बेटी को भी मल्टीप्लेक्स में सिनेमा देखने का मन करता है।  और कभी कभी ऑनलाईन शॉपिंग भी कर लेते हैं। महीने में एक बार हम भी एयर कंडीशन होटल में खाने को जाते हैं। हम पैसा कहां से लाएंगे? आप ही लोग तो दोगे।

उसके तर्क हमें लाजवाब करते हैं। हम पत्नी को सलाह देते हैं। बहस मत करो। 
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12 June 2017
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