Sunday, June 4, 2017

काश, बजाज खरीदी होती!

-वीर विनोद छाबड़ा
कई साल पहले की बात है। हम एक बीमार सहकर्मी का हाल जानने अस्पताल जा रहे थे। अपने अधिकारी से दो घंटे का अवकाश मांगा।
उन्होंने सहर्ष आज्ञा दे दी।
हम निकलने को ही थे कि एक महिला सहकर्मी ने रोका। हम भी चलें।
हम थोड़ा अचकचाये, थोड़ा झिझके। कुछ पल सोच में गुज़र गए। ऐसी स्थिति पहली बार आई थी। हां कहूं या न। मन चंगा तो कठौती में गंगा। हमने हां कर दी। गेट पर मिलिए। स्टैंड से स्कूटर लेकर आता हूं।
हम गेट पर पहुंचे। उन्हें इंतज़ार करते पाया। हमने कहा बैठिये।
वो बिदक गयीं। यह कैसा स्कूटर है? इसमें तो एक ही सीट है।
हमने समझाया। यह नया स्कूटर है। काइनेटिक होंडा। इसमें एक ही सीट है। लंबी वाली। इस पर दो लोग आसानी से बैठ सकते हैं।
लेकिन बजाज में तो दो सीट होती हैं।
हां, ठीक कहती हैं आप। लेकिन मैं क्या कर सकता हूं। कंपनी वालों की गलती है यह। बाकी आप की मर्ज़ी।
वो कुछ क्षण चुप रहीं। शायद कुछ सोच रहीं थीं। अस्मंजय में थीं। जाऊं कि नहीं। 
मैंने उनकी मुश्किल आसान की। ठीक है तो मैं चलता हूं।
लेकिन भारत में जुगाड़ बहुत बड़ी नेमत है। उन्होंने हमें दो मिनट रुकने को कहा। वो वापिस ऑफिस में चली गयीं।
हम सिर्फ़ कयास लगाते रहे। शायद कुछ भूल गयीं हैं।
वो पांच मिनट बाद वापस लौटीं। उनके हाथ में एक फाईल बोर्ड था। पीछे स्कूटर पर धम्म से बैठ गयीं। बीच में फाईल बोर्ड रख लिया।
जाते हुए और फिर लौटते हुए तमाम आंखें हमें घूरती रहीं।
इस बीच हम खामोश रहे। हमारी निगाह सामने ट्रैफिक पर थी। थोड़ा तनाव भी था। एक्सीडेंट न हो जाये, रब्बा रब्बा।

जब हम वापस आये तो तो उन्होंने हमें एक नेक सलाह दी। अपना स्कूटर बदल दो।
अब यह तो हम कर नहीं सकते थे। दुनिया आगे देख रही और हम पीछे कैसे जायें? कुछ दिनों बाद उन्होंने इच्छा प्रकट की। शाम को घर लौटते हुए हमें गोमती नगर छोड़ दें। वहां तक लिए सीधी सवारी नहीं है। हमें एक रिश्तेदार के घर जाना है।
हमें कोई ऐतराज़ नहीं है। लेकिन हमारे पास अभी तक काइनेटिक होंडा स्कूटर है।
वो मुंह बिसुरा कर चल दीं।
चलो जान छूटी।
शाम छुट्टी हुई। हमने देखा वो किसी अन्य सहकर्मी की स्कूटर पर बैठी हुई जा रही हैं। लगा जैसे चिढ़ा रही हो।
हमें पहली और आख़िरी बार क्षणिक अफ़सोस हुआ। काश, हमने काइनेटिक की जगह बजाज खरीदी होती! 
फिर हमारी हंसी छूट गयी। स्कूटर रोकी। सिगरेट सुलगाई। हर शोक को हर फ़िक्र को धुएं में उडाता चला गया। 
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