- वीर विनोद छाबड़ा
भगवान बड़े दयालु
एवं कृपालु हैं। वो किसी को निराश नहीं करते।
एक बंदे ने दो
बरस तक खड़े होकर तप किया। लेकिन भगवान प्रकट नहीं हुए। लेकिन बंदे ने हिम्मत नहीं हारी।
दोबारा तप किया, लेकिन इस बार एक टांग पर खड़े एक बरस तक कठोर तप
किया।
भगवान प्रसन्न
हुए। परंतु उनके पास बंदे को विज़िट करने का टाइम नहीं था। अतः उन्होंने दूत भेज कर
बंदे को सशरीर बुला स्वर्ग लिया।
भगवान ने बंदे
को गले लगाया। मौसमी और संतरे जूस पिलाया। फिर पूछा - बोल, क्या चाहता है भक्त?
भगवान की अपने
पर कृपा देख कर गलगलान होते हुए बंदे ने फरमाइश की - बाबा, अब अंधे को क्या चाहिए? बस दो आंखें! मुझे आपके दर्शन हो गए यही बहुत है।
भगवान ने कहा
- वो तो ठीक है। लेकिन मैं जानता हूं, तूने बेवज़ह तप नहीं किया। बेझिझक मांग। मैं तुम्हें चार वरदान देता हूं।
बंदा बोला - तो
ठीक है बाबा, मुझे एक बढ़िया नौकरी चाहिए।
भगवान ने कहा
- समझो मिल गई जॉब। अब आगे।
बंदा बोला - मेरे
पास एक बैग हो, जो हमेशा नोटों से भरा रहे।
भगवान ने कहा
- चलो यह भी हो जाएगा। अब तीसरा वरदान मांग।
बंदे ने कहा -
बाबा, मेरे पास एक बड़ी सी गाडी हो।
भगवान ने कहा
- ठीक है। अब चौथा और आख़िरी।
बंदे ने थोड़ा शर्माते
हुए कहा - और उसमें ढेर लड़कियां हों।
भगवान शरारत वाले
अंदाज़ में मुस्कुराये - भक्त, जा तेरा कल्याण हो।
फिर भगवान ने अपने
सहायक से कहा - वरदानों को कम्प्यूटर में डाल दो। और पैकेज ऑप्शन दे दो। और फिर इनकी
पूर्ति की कार्यवाही सुनिश्चित करो।
अचानक बंदे की
नींद खुल गयी। देखा वो बिस्तर पर है। भगवान आस-पास कहीं नहीं हैं। वो बड़बड़ाया - अच्छा, तो यह एक सपना था। चलो जो हुआ, अच्छा ही हुआ। भगवान ने दर्शन तो दिए, सपने में ही सही।
बंदे को सपना देखे
आज दो बरस गुज़र चुके हैं। बंदा भगवान को धोखेबाज़ समझ कर भूल गया है। लेकिन भगवान नहीं
भूले। उन्होंने बंदे को मैसेज दिया - तूने जो चाहा, सब पूरा कर दिया।
वो बंदा महिला
बस कंडक्टर है।
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24 June 2017
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