- वीर विनोद छाबड़ा
आमतौर पर जिसकी नई-नई शादी हुई होती है वो बंदा
दो-तीन हफ्ते तक दफ़्तर देर से पहुंचता है। और जल्दी चला भी जाता है। दफ्तर के आस पास
रहने वाले तो लंच पर घर भी चले जाते हैं और कम से कम दो घंटे बाद लौटते हैं। भी लंबा
लेते हैं। बॉस लोग कुछ नहीं बोलते। सब चलता है। आख़िर वो भी कभी सी मुकाम से गुज़र चुके
होते हैं।
और ऐसा युगों युगों से चला आ रहा है।
मगर अति हमेशा ख़राब होती है। टोकना पड़ता है। नहीं
माने तो लिख कर देना पड़ता है। तब भी नहीं माने तो फिर.…समझ जाइए बॉस के हाथ में बहुत ताकत होती है।
ऐसा हरेक की ज़िंदगी में कमोबेश घटित हुआ है।
एक नौजवान के साथ भी ऐसा ही हुआ। बात इतनी बढ़ी
कि जवाब-तलब हो गया।
बॉस ने नौजवान को बुलाया और फायर किया - जबसे
तुम्हारी शादी हुई है तुम लेट आ रहे हो। एक महीना, दो महीना और अब तीन महीने हो गए। कितनी ही बार
समझाया गया। लिख कर दिया। तुम्हारी वेतन कटौती तक हो गयी। लेकिन तुम सुधरने का नाम
ही नहीं ले रहे। नौकरी नहीं करनी है क्या? चूँकि तुम बहुत मेहनती सहायक हो इसलिए इससे पहले मैं वज़ह जानना चाहता हूं और उसके
बाद फैसला करूंगा कि तुम्हें रखूं या निकाल दूं।
नौजवान ने धीरे से जवाब दिया - सर, दरअसल बात यह है कि मेरे घर में नौकरानी नहीं
है। बर्तन मांझना, कपडे धोना, झाड़ू-पोंछा वगैरह सब मुझे ही करना पड़ता है।
बॉस हैरान हुआ - बस यही प्रॉब्लम है! अरे भाई
तो नौकरानी रख लो न।
नौजवान ने झिझकते हुए बताया - सर, बजट नहीं है।
बॉस ने हंसे - बस इत्ती सी बात। कोई बात नहीं।
सौ रूपए महीना तुम्हें स्पेशल अलाउंस मिलेगा। खुश! अब कल से टाइम पर आना।
नौजवान ने कुछ शर्माते हुए बताया - सर, बात बजट की भी नहीं है। दरअसल, घर में जो नौकरानी थी, अब वही तो घरवाली है। और वो नौकरानी रखने ही नही
देती है।
---
21 June 2017
---
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016
mob 7505663626
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 21 जून अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDelete