-वीर विनोद छाबड़ा
एक महत्वपूर्ण और चर्चित
प्रदेश का कानून मंत्री और ग्रेजुएशन की डिग्री फ़र्ज़ी!
अगर यह डिग्री वाकई
फ़र्ज़ी है तो इसके आधार पर कानून की हासिल की डिग्री भी फ़र्ज़ी हुई।
बंदा कोई छोटी-मोटी
पोस्ट पर नहीं है। उसने इस सफाई से झूठ बोला कि मुख्यमंत्री भी कायल हो गए। पूरा मंत्रिमंडल
ही डिफेंड करता घूमा। अपनी साख ही दांव पर लगा दी।
पुलिस ने हर बार की
तरह अँधेरे में छलांग नहीं लगाई। इस बार पूरा होमवर्क किया। मामला छोटा-मोटा नहीं।
एक सरकार को पटखनी देनी है। जिसके पास न नाखून हैं और न दांत। बड़ी सरकार तो पीछे खड़ी
है। जो जब चाहे किसी को भी 'लिफ़्ट' करा दे।
लेकिन बात अब यहां
तक नहीं रुकनी चाहिए। फर्जीवाड़ा एक लिए तो हुआ नहीं होगा। सैकड़ों होनहार घर बैठे पेमेंट
देकर बैकडोर से नकली-फ़र्ज़ी डिग्री पाए होंगे।
अनेक प्राइवेट नौकरियां
कर रहे होंगे और अनेक सरकारी भी। सरकार में कुछ ने ऊंचा मुक़ाम भी हासिल कर लिया होगा।
मुल्क के कर्णधार बने होंगे। भाग्य विधाता बने घूम रहे होंगे। तभी तो मुल्क का बंटाधार
हो रहा है। सबकी डिग्री चेक होनी चाहिए। चाहे वो कितने ही ऊंचे सदन का सदस्य क्यों
न हो। या बहुत ऊंची कुर्सी पर विराजमान हो। सबको स्कैन करो।
मैं तो कहता हूं कि
जिनकी डिग्री असली है उनके दिमाग का स्कैन करो। इसमें अनेक मिलेंगे शातिर दिमाग़ और
सड़े-गले दिमाग। शातिर जनता को लूटते हैं और सड़े-गले दिमाग वाले बेवज़ह की मीनमेख निकालते
हैं। नतीजा जनता ही भुगतती है। मैं तो अनेक ऐसों को जानता हूं जिनकी डिग्री तो असली
है मगर आईक्यू ज़ीरो। कहते हैं हम-पढ़े लिखे हैं। बुद्धिजीवी हैं। डिग्री लेने भर से
कोई महान नहीं हो जाता।
जुगाड़ वाले बिना कानून
की डिग्री लिए कानून सलाहकार हैं। जुगाड़ के बूते 'काल अक्षर भैंस बराबर
वाले' शान से चल रहे हैं।
शिकायत पर सरकार कहती
है पलने दो, तेरी जेब से क्या जा रहा है। मेरी जेब से न सही सरकारी ख़जाने
से तो जा रहा। और सरकारी ख़जाना किसका है? किसी मंत्री-संत्री
के बाप का नहीं, जनता का है। इसे लूटने से बचाना चाहिए।
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11-06-2015 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar Lucknow-226016
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